जंक्शन पर हर किसी को रहा अपनी ट्रेन का इंतजार
जंक्शन रेलवे स्टेशन से थ्रू गुजरने वाली सिकंदराबाद-निजामुद्दीन राजधानी को भी करीब तीस मिनट रोकाजंक्शन रेलवे स्टेशन से थ्रू गुजरने वाली सिकंदराबाद-निजा
बुधवार रात वृंदावन रेल खंड पर कोयले से भरी मालगाड़ी के 27 डिब्बे पटरी से उतरने के बाद ट्रैक को दुरुस्त करने का काम गुरुवार की रात तक चलता रहा। दोपहर तक 14 डिब्बों को क्रेन की सहायता से हटाया जा चुका था। हादसे के बाद जीएम समेत अन्य अफसरों ने मौके पर पहुंचकर जांच-पड़ताल की। हालांकि मुंबई से दिल्ली जाने वाली गाड़ियों को रोक-रोक कर चौथे ट्रैक से गुजारा गया। हादसे से लगभग 700 मीटर की लाइन को नुकसान हुआ है, वहीं एक दर्जन से अधिक खंभे उखड़ गए। बुधवार की रात कोयला से लदी मालगाड़ी झारखंड से राजस्थान के सूरतगढ़ पावर प्लांट जा रही थी। इस दौरान छटीकरा स्टेशन से दिल्ली की ओर लगभग 800 मीटर आगे खंभा नंबर 1408 के पास सुनसान इलाके में एक-एक करके करीब 27 डिब्बे पटरी से उतर गए। इससे डाउन और अप लाइन पर कोयले का ढेर लग गया। मालगाड़ी में कुल 59 डिब्बे थे। हादसे के बाद रात में ही डीआरएम टीपी अग्रवाल समेत अन्य अफसरों ने मौके पर पहुंचकर जांच-पड़ताल की। गुरुवार की सुबह मौके पर पहुंचे उत्तर मध्य रेलवे के जीएम उपेंद्र चंद्र जोशी ने अधिकारियों के साथ जांच की और काम में तेजी लाने के आदेश दिए। रात को ही ट्रैक को सुचारु करने के लिए काम शुरु किया गया। गुरुवार को दिन भर चले अभियान के बाद शाम तक पटरी पर पड़े डिब्बों को हटाने का काम किया जाता रहा। दोपहर तक लगभग 14 डिब्बों को क्रेन से हटाया जा चुका था। करीब एक हजार मजदूर रेलवे ट्रैक को दुरस्त करने में जुटे हुए हैं।
55 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी मालगाड़ी
मथुरा। झारखंड से राजस्थान के सूरतगढ़ पावर प्लांट जा रही कोयला लदी मालगाड़ी 55 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी। बताया जाता है कि मथुरा स्टेशन छोड़ने के बाद मालगाड़ी वृंदावन स्टेशन को 55 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से क्रास किया था।
200 से ज्यादा कर्मचारी कर रहे निगरानी
मथुरा। बुधवार रात कोयले से भरी मालगाड़ी के 27 डिब्बे पटरी से उतरने के बाद ट्रैक को दुरुस्त करने के लिए एक हजार से अधिक मजूदरों को लगाया गया है। इसके साथ ही दो 200 से ज्यादा कर्मचारी भी लगे हैं। इनमें आगरा कैंट और कानपुर से आए तकनीकि विशेषज्ञ भी हैं। बुधवार की रात हादसा होने के बाद ही रेलवे के अधिकारियों ने मौके पर डेरा डाल दिया। उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक स्वयं राहत कार्य को देख रहे हैं। रेलवे के अधिकारियों की पहली प्राथमिकता रेलवे ट्रैक को दुरुस्त करने की है।
--
ट्रेन हादसे की जांच के लिए बनेगी समिति: जीएम
मथुरा। कोयले से भरी मालगाड़ी के डिब्बों के पटरी से उतरने के मामले में घटनास्थल के निरीक्षण के बाद उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक उपेंद्र चंद्र जोशी ने कहा कि यह एक गंभीर हदसा है, जांच के लिए समिति के गठन के बारे में विचार किया जा रहा है। समिति का गठन कर जांच कराई जाएगी। हमारी पहली प्राथमिकता बाधित रेलमार्ग को साफ कराना है। मालगाड़ी के वैगन पटरी से उतरने के कारण करीब 32 गाड़ियां प्रभावित हुई हैं। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे रेलमार्ग ठीक होता जाएगा गाड़ियों को यहां से गुजारा जाएगा। रेल मार्ग ठीक हो जाने के बाद जांच के अन्य पहलुओं पर विचार किया जाएगा। पटरी पर कोई तोड़फोड़ पर कहा कि इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, जांच के बाद ही चल सकेगा।
--
चार क्रेन और रिलीफ ट्रेन मंगाई
मथुरा। हादसे के बाद रेल मार्ग को पुनः व्यवस्थित करने के लिए आगरा, दिल्ली और मुरादाबाद से ऐक्सीडेन्ट रिलीफ ट्रेन मंगाई गई हैं, जबकि कानपुर से 140 टन वजन उठाने में सक्षम क्रेन को बुलाना पड़ा, जबकि तीन क्रेन आगरा से मंगाई गईं। इसके साथ एक दर्जन से अधिक जेसीबी की मदद ली गई। रेल प्रशासन रेलमार्ग को दुरुस्त करने में युद्ध स्तर पर जुटा हुआ था।
--
सिर्फ चौथे ट्रैक से निकाली जा रही हैं गाड़ियां
मथुरा। बुधवार रात कोयले से भरी मालगाड़ी के 27 डिब्बे पटरी से उतरने के बाद देर रात को ही चौथे ट्रैक से गाड़ियों का संचालन शुरु कर दिया गया। मुबंई से दिल्ली की ओर जाने वाली गाड़ियों को पहले मथुरा जंक्शन और फिर वृंदावन स्टेशन पर रोका गया। इसके बाद एक एक कर गाड़ियों को डाउन लाइन से गुजारा गया। गुरुवार की सुबह दिल्ली जाने वाली गाड़ियों को दस किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से घटनास्थल से गुजारा गया।
गीला कोयला कर रहा परेशान, कोयला उठाने में हो रही परेशानी
मथुरा। हादसे के बाद रेलवे ट्रैक पर चारों ओर फैला गीला कोयला राहत कार्य में रोड़ा बना हुआ है। इधर-उधर गिरे डिब्बों में भरे कोयले और ट्रैक पर फैले कोयले को उठाने के लिए लगभग एक दर्जन से अधिक जेसीबी लगी हुई हैं। वहीं ट्रैक पर फैले कोयले को हटाने के लिए मजूदरों की मदद ली जा रही है। मजदूर लोहे के तसले में भर-भरकर कोयले को ट्रैक के पास डाल रहे हैं, ताकि रेलमार्ग को दुरुस्त किया जा सके।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।