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बोले मथुरा: पुलिस से रिटायरमेंट के बाद दफ्तरों के चक्कर काटने में बीत रहा समय

Mathura News - मथुरा में सेवानिवृत्त पुलिस कर्मियों के जीवन में कई चुनौतियां हैं। नौकरी के दौरान परिवार से दूर रहने के बाद, रिटायरमेंट के बाद कई लोग बीमारियों और पारिवारिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अधिकारी उनकी...

Newswrap हिन्दुस्तान, मथुराFri, 11 April 2025 12:09 AM
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बोले मथुरा: पुलिस से रिटायरमेंट के बाद दफ्तरों के चक्कर काटने में बीत रहा समय

मथुरा। सेवानिवृत्ति से पहले पुलिस कर्मी ज्यादातर समय परिवार से दूर रहकर गुजारते हैं। हर समय ड्यूटी-ड्यूटी और सिर्फ ड्यूटी। परिवार के लिए समय ही नहीं मिलता। परिवार में जरूरी काम होने पर भी छुट्टी बड़ी मुश्किल से मिलती है। समय इतना व्यस्त रहता है कि परिवार के बारे में सोचने का वक्त ही नहीं मिलता। सेवानिवृत्ति के बाद और कुछ ड्यूटी के दौरान शरीर पर ध्यान न देना और कुछ उम्र का असर, ज्यादातर पुलिस कर्मी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। परिवार के साथ समय तो गुजर रहा है लेकिन पुलिस की वह ठसक नहीं होती। सेवानिवृत्ति के बाद कुछ पुलिस कर्मी परिवार के साथ मस्त हैं तो कुछ बीमारी से जूझ रहे हैं।

पुलिस विभाग में कर्मचारियों की तैनाती एक जगह नहीं होती है। उन्हें समाज की सेवा के लिए विभिन्न जिले और जिलों में भी विभिन्न थाना क्षेत्रों में ड्यूटी देनी होती है व अन्य जगाहों पर भी जाना पड़ता है। कुल मिलाकर ड्यूटी के दौरान इतना समय नहीं होता की परिवार पर ध्यान दे पायें। बहुत से पुलिस कर्मी तो अपनी नौकरी का ज्यादातर हिस्सा परिवार से दूर रहकर ही गुजारते हैं। जब रिटायर होते हैं तो वर्दी के बगैर उन्हें जिंदगी में तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कुछ तो परिवार में रहकर मस्त जिंदगी गुजार रहे हैं लेकिन ऐसे भी बहुत हैं जो बीमारी या समस्याओं से जूझ रहे हैं।

रिटायरमेंट के बाद उन्हें मेडिकल, और अन्य सुविधाओं के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। हर माह की 5 तारीख को पुलिस लाइन में होने वाली बैठक में अपनी समस्या को अधिकारी के समक्ष रखते हैं। कुछ की समस्याओं का हल हो जाता है तो कुछ की समस्या जस की तस सामने खड़ी रहती हैं। ऐसे भी पुलिस कर्मी हैं, जो फ्रॉड का शिकार हो गये। एक लाख रुपये चले गये लेकिन फ्रॉड करने वाला अभी तक वही पुलिस नहीं पकड़ पायी, जिसमें वे अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण दिन खपा चुके हैं।

शरीर पर वर्दी होने पर जिन लोगों से गुंडे-बदमाश कांपते थे, आज शरीर पर वर्दी नहीं है तो उन्हें ही न्याय के लिए भटकना पड़ रह है। सेवानिवृत्त होने के बाद कोई अपने शरीर से परेशान है तो कोई अपनी पारिवारिक समस्या से निपट रहे हैं।

कर्मचारियों ने कही ये बात

जब हम सर्विस में थे तब मेरे सामने जो भी कार्य हुआ करते थे, वह सभी ईमानदारी से किये। लोगों का सहयोग किया। सेवानिवृत्त बाद भी सहयोगात्मक रवैया जारी है। मुझे अब भी सभी सम्मान के साथ देखते हैं।

-रमेश चंद्र शर्मा, पूर्व इंस्पैक्टर

सेवानिवृत्त होने से पहले लोग थोड़ा बहुत सहयोग किया करते थे लेकिन अब कोई भी सहयोग नहीं करता है। घर में ही अपने परिवार के साथ रहता हूं। चिकित्सा संबंधी कई समस्याएं हैं, जो परेशान कर रही है।

-भीकम सिंह, पूर्व एसआई

रिटायर होने से पहले हम काम को ईमानदारी से किया। वहीं सेवानिवृत होने के बाद पारिवारिक मुकदमेवाजी में फसे हुए हैं। आज हम अपनी परिवार की समस्याओ से नहीं निपट पा रहे हैं। 24 मुकदमों को झेल रहा हूं।

-बाग्य लाल यादव, पूर्व एसआई

सेवानिवृत्त होने से पहले जो भी समस्या हुआ करती थी उन्हें अधिकारी सुनते थे। रिटायर होने के बाद अब सिर्फ कहने की बात है कि अधिकारी के पास जाओ, वो सुनेंगे। अब उनकी समस्याओं को कोई नहीं सुनता है।

-सोरन सिंह, पूर्व एसआई

सेवानिवृत्त से पहले अपने काम में व्यस्त रहते थे। अब अपने घर में ही रहते है। वर्दी को देख सूना-सूना लगता है। अब अपने परिवार व बच्चों के साथ समय बिताते हैं। कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो गई हैं।

-बाबू लाल, पूर्व एसआई

रिटायर होने के बाद बीमारीयों ने घेरा हुआ है। अब समय घर में गुजरता है। पुलिस लाइन में हर माह की पांच तारीख को मीटींग होती है, उस मीटिंग में आ जाते है। इसमें जो भी समस्या होती है, वह अधिकारियो को बता दी जाती हैं।

-अशोक कुमार वर्मा,पूर्व एसआई

मेडिकल की समस्या बनी हुई है। बीमारीयों से परेशान हैं। जैसे जैसे उम्र बढ़ रही है, समस्या भी बढ़ रही हैं। घर पर ही समय बिता रहे हैं। एक समय था जब परिवार के लिए समय नहीं था, अब परिवार को देखने के अलावा कोई कार्य नहीं है।

-रामजी लाल, पूर्व एसआई

कई सालों तक पुलिस विभाग में रहकर समाज के लिय सेवा की है और अब अपने ही विभाग में बेगाने हो गए है। जब बैठक होती है, तब अपनी समस्याओ को अधिकारी के समक्ष रखते है। बैसे कोई पूछने वाला नहीं है।

-उदयवीर सिंह, पूर्व एसआई

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