जो चीज भक्ति में बाधा डाले उसे त्याग देना चाहिए : बापू
Mathura News - वृंदावन। वैजयंती सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित श्री सद्गुरु युगल महोत्सव अंतर्गत चल रही रामकथा में रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने कहा कि...
वृंदावन। वैजयंती सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित श्री सद्गुरु युगल महोत्सव अंतर्गत चल रही रामकथा में रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने कहा कि महाप्रभु के दो भाव वृंदावन में देखे जाते हैं। एक भगवत्भाव और दूसरा भक्त भाव है। आपके जो भी आश्रित, भक्त भाव से भजन करते हैं, उसी स्वरूप में गौरांग प्रभु उसको दर्शन देते हैं। उन्होंने कहा कि कृष्ण चैतन्य महाप्रभु जब भक्त भाव में होते थे, तब पूरी तरह भक्त भाव में डूब जाते थे।
भगवत भाव में होते थे, तब आश्रित का भाव देखकर भाव समाधि में डूब जाते थे। उन्होंने कहा कि पैसा, पद, प्रतिष्ठा या पहचान यदि हमारा भजन भंग करें तो ऐसा भजन व्यर्थ है। भक्ति में बाधा डाले, ऐसी सभी चीज त्याग देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई साधु तुम्हारे सामने मुस्कुरा दे, तो समझना भगवान को भी आपके सामने देखना पड़ेगा। साधु की महिमा ही कुछ और है। उन्होंने श्रीराम प्रसंग में कहा कि राम जन्म के बाद चारों ओर उजाला ही उजाला है। अंधेरा रहता ही नहीं। कुछ बातें जानी नहीं जातीं, कुछ कुछ बातें विश्वास से मानी जाती हैं। अयोध्या में चारों भाइयों का नामकरण संस्कार हुआ। उन्होंने श्रीराम के बाल्यकाल की लीलाओं का सुंदर वर्णन किया। भागवत प्रवक्ता देवकीनंदन ठाकुरजी ने कहा कि मोरारी बापू ने हर प्राणी के हृदय में राम मंदिर बनाने का कार्य अपनी कथा के माध्यम से किया है। भागवत प्रवक्ता इंद्रेश शास्त्री ने कहा कि साधु के क्या लक्षण होते हैं। ये बापू से सीखने को मिला है।
-श्री सद्गुरु युगल महोत्सव में रामकथा
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