मुसीबत आने पर होती है सच्चे मित्र की पहचान
बिछवां। क्षेत्र के ग्राम सिमरई स्थित गमां देवी मंदिर पर श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
क्षेत्र के ग्राम सिमरई स्थित गमां देवी मंदिर पर श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के अंतिम दिन आचार्य ब्रजबिहारी महाराज ने सुदामा चरित की लीला का बखान किया। इस दौरान उन्होंने सच्ची मित्रता के बारे में प्रकाश डाला कहा कि आज के समय में सच्चा मित्र मिलना मुश्किल है। आचार्य ने कहा कि कलयुग में मतलब की मित्रता रह गई है। अगर हमें मित्रता की परख करनी है तो हमें कृष्ण व सुदामा से सीख लेनी चाहिए। कहा कि सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र के सुख में सुखी व दुख में दुखी होता है। सच्चे मित्र की पहचान विपदा के समय में ही होती है। मित्र के साथ कभी भी छल कपट नहीं करना चाहिए। गुरू मां ने जो चने दिये थे वह सुदामा ने अकेले ही खा लिए थे। सुदामा अपनी पत्नी सुशीला के कहने पर भगवान श्रीकृष्ण के पास गए तो भगवान उनकी दशा देखकर बहुत दुखी हुए और जिसके बाद सुदामा की दरिद्रता को दूर कर दिया। आचार्य ने कहा कि महाभारत में दुर्योधन व कर्ण की मित्रता भी एक मिसाल है।
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