बोले मैनपुरी: बेरहम वक्त ने विधवा बना दिया अब जीने का सहारा कहां ढूंढें
Mainpuri News - पुसैना गांव में कच्ची शराब का कारोबार खत्म हो गया है, लेकिन महिलाओं की स्थिति अब भी गंभीर है। विधवा महिलाएं आर्थिक सहायता की मांग कर रही हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे रोजगार के...
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मैनपुरी। पुसैना की बदरंग कहानी जो भी सुनता है हैरान रह जाता है। 3600 से अधिक की आबादी वाले इस गांव में घर-घर कच्ची शराब का आतंक लोगों के बीच नजर आता है। 5 साल पहले तक इस गांव में दिन हो या रात पुलिस के बूटों की आवाज गूंजती थी। गांव के निकट से गुजरने वाली ईसन नदी के किनारे पुलिस की छापेमारी के दौरान लोग पकड़े जाते थे। नदी के आसपास गड्ढे खोदकर तैयार किए जा रहे लहन को पुलिस नष्ट करती थी और जलती हुई शराब की भट्ठियों को नष्ट कर देती थी। जो भी महिला, पुरुष मिलता उसे पकड़कर जेल भेज दिया जाता था। तत्कालीन एसपी अजयशंकर राय ने शराब के खिलाफ अभियान चलाया और इस गांव के माथे पर लगे कच्ची शराब के कलंक को मिटाने का एक हद तक बड़ा प्रयास किया। सरकार और पुलिस की सख्ती सामने आई तो कच्ची शराब का कारोबार दम तोड़ता चला गया। लेकिन ऐसा होने में बहुत देर हो गई। इस गांव में घर-घर शराब से होने वाली मौतों का मातम आज भी नजर आता है।
यहां की निवासी विधवा महिलाएं कहती हैं कि उनके अपने तो शराब ने लील लिए। लेकिन अब उन्हें भरण पोषण के लिए सरकारी मदद की जरूरत है। सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। किसी के पास आवास नहीं है तो किसी के पास शौचालय नहीं है। गरीब विधवा महिलाओं की बेटियां बड़ी हो रही हैं, शादी के लिए पैसे नहीं हैं। युवाओं के पास रोजगार के साधनों की कमी है।
महिलाओं की प्रतिक्रियाएं
पुसैना में बदलाव की हवा तो चलने लगी है लेकिन इस हवा के हाथ खाली हैं। यही वजह है कि जहां घर-घर बेरोजगारी के किस्से तो गूंजते ही हैं, विधवा, गरीब महिलाओं का दर्द भी सिसकियों के रूप में सामने आता है।
-राधिका
गांव में जो गरीब ,पीड़ित महिलाएं हैं, उनके लिए रोजगार के अवसर देने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए। ग्राम पंचायत में रोजगार के अवसर मनरेगा योजना के जरिए पैदा किए जा सकते हैं। इससे लोगों का भला होगा।
-विटरानी
पुसैना गांव में पहले हर रोज पुलिस आती थी। लेकिन अब पुलिस नहीं आती। यहां शराब बंद हो चुकी है। अब जरूरत इस बात की है कि यहां जो भी पीड़ित लोग हैं उन्हें सरकारी मदद देकर जिंदगी की मुख्य धारा में वापस लाया जाए।
-ऊषा देवी
सवाल जितना महत्वपूर्ण शराब से फैले आतंक का है, उतना ही महत्वपूर्ण इस बात का भी है कि जो महिलाएं जवानी के दिनों में ही विधवा हो गईं, उनका शेष जीवन कैसे कटेगा। आय का कोई साधन न होने से यह महिलाएं परेशान रहती हैं।
-रेशमा देवी
कच्ची शराब का कारोबार पुसैना में ही नहीं बल्कि पूरे जिले में खत्म हुआ है। यह प्रशासन की बड़ी उपलब्धि है। अब प्रशासन का फर्ज बनता है कि शराब के दुष्परिणाम से परेशान महिलाओं को मुख्य धारा में लाया जाए।
-शीला देवी
कैंप लगाकर राशन के कार्ड बनाए जाएं। मनरेगा के जॉब कार्ड देकर महिला पुरुषों को निश्चित आय के अवसर उपलब्ध कराए जाएं। इसके अलावा जिनके पास स्वरोजगार के अवसर नहीं है, उन्हें स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं।
-रंजना
शराब के दंश से जो परिवार आहत हुए हैं, उन परिवारों की पीड़ा पर मरहम लगाने की आवश्यकता है। यह मरहम सरकार के द्वारा लगाई जा सकती है। जिससे पीड़ित परिवारों को समाज की मुख्य धारा में लाया जाए।
-हरप्यारी
पुसैना जैसे कई और भी गांव जिले में हैं जो शराब के दुष्परिणामों को झेल रहे हैं। इन सभी गांव में विकास योजनाओं को पहुंचाया जाए। आजीविका से जोड़ा जाए। जिसकी परेशान इस वर्ग को नितांत आवश्यकता है।
-आशा देवी
गांव के कुछ परिवार तो ऐसे हैं जिनके घर में पिता पुत्र, भाई की शराब से मौत हो गई। ऐसे परिवारों के यहां दुख का दरिया बह रहा है। इन परिवारों के पास भरण पोषण के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं हैं। ऐसे परिवारों को मदद मिलनी चाहिए।
-अंकित कुमार
पुसैना में मछली पालन, मुर्गी पालन के अलावा शहद के कारोबार के जरिए लोगों को निश्चित आय से जोड़ने की पहल की जानी चाहिए। स्थानीय स्तर पर इस कारोबार से लोग जुड़ेंगे तो उनकी आजीविका के साधन विकसित हो जाएंगे।
-रामू
पुसैना में मछली पालन, मुर्गी पालन के अलावा शहद के कारोबार के जरिए लोगों को निश्चित आय से जोड़ने की पहल की जानी चाहिए। स्थानीय स्तर पर इस कारोबार से लोग जुड़ेंगे तो उनकी आजीविका के साधन विकसित हो जाएंगे।
-रामू
पुसैना गांव में जो लोग बेरोजगार हैं। जिन महिलाओं के पास काम नहीं हैं। उनके लिए स्वयं सहायता समूहों के जरिए काम के अवसर पैदा किए जाएं। घरेलू कुटीर उद्योगों के जरिए इन महिलाओं को निश्चित आय से जोड़ा जा सकता है।
-गुड्डी देवी
गांव में स्वच्छता अभियान चलकर यहां के लोगों को बीमारियों से बचाने का प्रयास शुरू कराया गया है। लोगों की आय बढ़े इसके साधन जुटाए जा रहे हैं। गांव के विकास के लिए सांसद और विधायक निधि के जरिए विकास के प्रयास शुरू कराए जाएंगे।
-लक्ष्मण सिंह
इस गांव ने शराब के आतंक का सामना किया है। लेकिन अब बदलाव की हवा चल रही है। यहां के युवा पढ़ाई की तरफ रुख कर रहे हैं और जो लोग पढ़ लिख चुके हैं वह काम की तलाश में हैं। अच्छा होगा कि इस गांव के लिए कोई विशेष पैकेज घोषित किया जाए।
-मिथुन
गांव में बेरोजगार लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां के बेरोजगार लोगों को मनरेगा से जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा युवा खुद का काम करें, इसके लिए उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने की कोशिश भी की जा रही है। महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकारी सहयोग चाहिए।
-अनीता सिंह, ग्राम प्रधान
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