बोले मैनपुरी: जिंदगियों को ‘सींचने वाले वनकर्मी अभावों और शोषण में जीने को मजबूर
Mainpuri News - मैनपुरी। कोई 11 साल से काम कर रहा है तो किसी को काम करते हुए 28 साल हो गए। मगर अफसोस हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद भी अफसरों की निगाह नहीं पड़ रही।
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कोई 11 साल से काम कर रहा है तो किसी को काम करते हुए 28 साल हो गए। मगर अफसोस हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद भी अफसरों की निगाह नहीं पड़ रही। वन विभाग के यह श्रमिक लगातार अभावों और शोषण की जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। कर्मचारियों ने कई बार धरना प्रदर्शन किया। अफसरों के जरिए सरकार तक अपनी बात पहुंचाई। लेकिन उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया। स्थायीकरण और राज्य कर्मचारी का दर्जा देने की मांग कर रहे वन विभाग के श्रमिकों ने हिन्दुस्तान के साथ बोले मैनपुरी संवाद में अपनी बात रखी तो इनका दर्द छलक पड़ा। इन्होंने सरकार से मांग की कि उन्हें भी उनकी मेहनत के अनुसार वेतन दिया जाए। जनपद में हर साल 30 से 35 लाख नए पौधों का रोपण होता है। इन पौधों को तैयार करने की जिम्मेदारी वन विभाग में कार्यरत श्रमिकों की है। इन श्रमिकों की एक बड़ी संख्या है। लेकिन इन श्रमिकों को पर्याप्त मानदेय नहीं मिल पा रहा। यह स्थिति तब है जब कोर्ट ने इन श्रमिकों को 18000 रुपये प्रतिमाह मानदेय देने के दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।
जहां तक मैनपुरी वन विभाग का सवाल है तो वन विभाग के कार्यालय में 10 साल से पहले कार्यरत कर्मचारियों का रिकॉर्ड ही गायब कर दिया गया है। आरोप है कि इस रिकार्ड को जला दिया गया है। इस मामले की जांच भी नहीं हो रही। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें आयुष्मान योजना से सीधे जोड़ा जाए। साथ ही 18000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाए। यह सुविधा उन्हें मिलेगी तो वह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करेंगे। इसके अलावा कर्मचारी यह भी चाहते हैं कि पौधारोपण अभियान सफल हो और जनपद में हरियाली वापस लौटे, इसके लिए सभी कर्मचारियों को लगाए गए पौधों को पेड़ बनाने की जिम्मेदारी दी जाए। नियमित देखरेख होगी तो यह पौधे पेड़ बनेंगे और मैनपुरी में पर्यावरण का संकट दूर होगा। जलस्तर की समस्या खत्म होगी और यहां पर्याप्त बारिश होने से कृषि का क्षेत्र भी विकसित होगा।
बोले वनकर्मी
वन विभाग के श्रमिक हर साल सरकार के पौधारोपण अभियान में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अभियान के तहत लगने वाले पौधों को तैयार करते हैं। दिन-रात मेहनत करके अपना काम करते हैं। लेकिन उन्हें उनका हक नहीं मिल रहा।
-अजय प्रताप सिंह
10 साल से अधिक समय विभाग में काम करने वाले श्रमिकों को स्थाई किया जाए। उन्हें राज्य कर्मचारियों की तरह वेतन दिया जाए। सरकार से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ दिया जाए। कर्मचारी का दर्जा मिलेगा तो जीवन स्तर सुधार सकेंगे।
-अमित कुमार
वन विभाग में श्रमिक के रूप में सालों से काम कर रहे कर्मचारियों के पास आजीविका चलाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इन कर्मचारियों को काम के अनुसार वेतन मिलेगा तो यह अपना और अपने परिवार का भरण पोषण आसानी से कर सकेंगे।
-भुजवीर सिंह
राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलने के बाद श्रमिकों के घरों में भी भरण पोषण का संकट दूर होगा। सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मिलेगा तो ये श्रमिक भी अपने दायित्वों का निर्वहन मन लगाकर हमेशा करेंगे।
-हर्ष कुमार
वन विभाग में जनपद में जितनी भी पौधशालाएं संचालित कर रखी है वहां कर्मचारियों की कमी है। श्रमिक कर्मचारी को 18000 रुपये मानदेय पर भर्ती किया जाए। ताकि यह वर्ग भी पौधारोपण के अपने अभियान में सहयोग करे। जिले को हरा भरा बनाएं।
-शमशाद
एक जमाने में मैनपुरी को जंगलों का जिला कहा जाता था। लेकिन हरे पेड़ काटे गए और मैनपुरी की हरियाली गायब होती गई। साल में एक बार पौधारोपण अभियान चलता है। जितने पौधे लगा रहे हैं उन्हें भी जीवित रखने की कोशिश होनी चाहिए।
-श्याम मोहन
वन विभाग के श्रमिकों को मनरेगा मजदूरों की तरह भी मानदेय नहीं मिलता। उनकी हालत बेहद खराब है। कहने को यह लोग वन विभाग का हिस्सा हैं। लेकिन वन विभाग के अधिकारी इन श्रमिकों को बेहतर जीवन देने के लिए प्रयास नहीं करते।
-जयवीर सिंह
वन विभाग के श्रमिकों के परिवार के लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ विभाग के श्रमिक के रूप में मिलना चाहिए। ताकि सेहत खराब होने पर यह श्रमिक और उनके परिवार के लोग सरकार की इस निशुल्क उपचार योजना का लाभ उठा सकें।
-कुलफ सिंह
अगर पेड़ नहीं होंगे तो जीवन भी संभव नहीं होगा। वन विभाग के श्रमिकों को पौधशालाओं में दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है। तब जाकर पौधे तैयार होते हैं। श्रमिकों को पर्याप्त मानदेय मिले और इन्हें पौधों को पेड़ बनाने की जिम्मेदारी भी दी जाए।
-ओमजीत
मैनपुरी को क्लीन मैनपुरी और ग्रीन मैनपुरी बनाने का संकल्प हर साल लिया जाता है। यह सब अधिकारियों की फाइलों में सिमट कर रह जाता है। पर्याप्त वेतन दिया जाए तो विभाग के श्रमिक इस संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
-पुष्पेंद्र सिंह
पौधारोपण अभियान के दौरान पाठशालाओं की जिम्मेदारी के साथ-साथ कर्मचारियों को लगाए जाने वाले पौधों की निगरानी के काम भी सौंपे जाएं। इसके लिए उन्हें पर्याप्त मानदेय दिया जाए। पेट भरा रहेगा तो कर्मचारी कर्तव्य भी निभाएंगे।
-सुखवीर सिंह
सरकार कर्मचारियों के लिए आवासों की व्यवस्था करती है। लेकिन श्रमिकों के पास आवास योजना का लाभ नहीं है। कर्मचारियों के लिए कॉलोनी विकसित करके उन्हें भी आवास आवंटन करने की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।
-वीरपाल सिंह
वन विभाग के श्रमिकों को महीने में 5 हजार रुपये ही मानदेय दिया जाता है। महंगाई के इस दौर में इतने कम मानदेय से इन कर्मचारियों के घरों में दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं हो पाता। कम से कम 18000 रुपये मानदेय दिया जाए।
-रामबरन
मैनपुरी वन विभाग के अधिकारियों ने श्रमिकों के साथ बड़ा धोखा किया है। इन कर्मचारियों को 18 हजार रुपये मासिक मानदेय देने के लिए कोर्ट से आदेश हो गए हैं। लेकिन विभाग मनमानी कर रहा है। और पर्याप्त मानदेय नहीं दे रहा।
-शमीम अली
श्रमिक कर्मचारी का रिकॉर्ड मैनपुरी कार्यालय से गायब है। यह रिकॉर्ड साजिश के तहत गायब किया गया। ताकि कर्मचारी अपने हक की मांग न कर सकें। कोर्ट के आदेश पर कर्मचारियों को पर्याप्त मानदेय कैसे मिले यह समस्या आ गई है।
-संतोष सिंह
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