डाकघर के बाबू की आईडी से नेपालियों का बनाया जा रहा था आधार कार्ड
महराजगंज। निज संवाददाता फरेंदा पुलिस व साइबर सेल ने नेपाली नागरिकों का फर्जी...
महराजगंज। निज संवाददाता
फरेंदा पुलिस व साइबर सेल ने नेपाली नागरिकों का फर्जी दस्तावेज से आधार कार्ड बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश करने के बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया है। जेल भेजे गए आरोपितों से पूछताछ में मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस सोनौली से लेकर गोरखपुर तक फैले इस रैकेट से जुड़े लोगों की तलाश शुरू कर दी गई है। अभी तक की जांच में जो अहम जानकारी मिली है, उसके अनुसार एक डाकघर के बाबू के आईडी व पासवर्ड से दस हजार रुपये में विदेशी नागरिकों का आधार कार्ड बनाया जा रहा था।
सूत्रों के अनुसार जांच में अभी तक सौ से अधिक विदेशी नागरिकों का आधार कार्ड बनाए जाने की जानकारी सामने आ रही है। इस रैकेट से जुड़े लोगों की पहचान के साथ-साथ विदेशी नागरिकों के फर्जी पते पर बनाए गए आधार कार्ड को चिह्नित कर निरस्त कराना भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। आधार कार्ड फर्जीवाड़े के मामले में पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार करने के बाद उनके पास से 13 ग्राम पंचायतों की मुहर, लैपटॉप, प्रिंटर, फिंगर व रेटिना स्कैनर, जीपीएस लोकेटर समेत कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस व 60 हजार रुपये बरामद किए थे।
डाकघर में संविदा पर काम करता है एक जालसाज का भाई
अभी तक की जांच में जो बातें सामने आई हैं, उसके मुताबिक कैम्पियरगंज थाना क्षेत्र के भौराबारी चौराहे पर एक मोबाइल केयर की दुकान पर नेपाली नागरिकों का आधार कार्ड बनाया जा रहा था। दुकान से जो आरोपित गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है, उसका एक भाई फरेंदा तहसील क्षेत्र के एक डाकघर में संविदा पर काम करता था। सोनौली बार्डर पर दिलशाद नाम का आरोपित नेपाली नागरिकों का आधार कार्ड बनवाने के लिए दस हजार रुपये में डील करता था। इसमें से पांच हजार रुपया भौराबारी चौराहे के मोबाइल केयर दुकान पर पहुंचता था। दोनों भाई एक-एक दिन दुकान पर बैठकर फर्जी दस्तावेज पर आधार कार्ड बनाते थे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जिस आईडी व पासवर्ड से आधार कार्ड बनाया जा रहा था, वह एक डाकघर के बाबू की बताई जा रही है। पुलिस ने इस बाबू को भी रडार पर ले लिया है।
इस तरह फेक दस्तावेज से आधार कार्ड बनाते थे जालसाज
नया आधार कार्ड बनवाने के लिए आधार सेंटर से एक फार्म मिलता है। छात्रों की उम्र प्रमाणित कराने के लिए उस पर प्रधानाध्यापक की मुहर व हस्ताक्षर की जरूरत पड़ती है। ग्राम पंचायत में रहने वाले लोगों का आधार कार्ड बनवाने के लिए फार्म पर ग्राम प्रधान का मुहर व हस्ताक्षर जरूरी है। इसके साथ ही आधार सेंटरों को अन्य पहचान पत्र का सत्यापन करना होता है, लेकिन वेबसाइट पर केवल मोहर लगा फार्म ही स्कैन कर संबद्ध किया जाता है। चंद रुपयों की लालच में आधार कार्ड बनाने वाले जिम्मेदार पहचान की प्रक्रिया को नजरअंदाज कर सीधे ग्राम प्रधान की मुहर लगी फार्म को ही स्कैन कर वेबसाइट पर अपलोड कर देते थे। इसी तरह फर्जी दस्तावेज पर विदेशी नागरिकों का आधार कार्ड बनाया जा रहा था। मोटी रकम लेने के बाद जालसाज ग्राम प्रधान की फर्जी मुहर बनाकर फार्म जमा कर देते थे। केवल फोटो, नाम व वल्दियत सही रहती थी, पता पूरी तरह फर्जी रहता था। फर्जी दस्तावेज से असली आधार कार्ड बनवाकर विदेशी नागरिक भारत में सरकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे थे।
फर्जी दस्तावेज पर नेपाली नागरिकों का आधार कार्ड बनाने वाले गैंग का खुलासा कर दिया गया है। अब इस रैकेट में कौन-कौन लोग जुड़े हैं? उनकी छानबीन शुरू कर दी गई है। जिसका भी नाम सामने आएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई तय है।
प्रदीप गुप्ता, एसपी
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