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प्रदूषण और धूम्रपान से युवाओं का दिल हो रहा कमजोर

हार्ट अटैक की चपेट में सिर्फ बुजुर्ग और अधेड़ ही  नहीं बल्कि युवा भी आ रहे हैं। दिल तक खून पहुंचाने वाली नसों में वसा (कोलेस्ट्रॉल) जमने के कई मामले नौजवानों में सामने आए हैं। डॉक्टर इसका...

रजनीश रस्तोगी  लखनऊ। Sat, 20 July 2019 10:49 AM
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हार्ट अटैक की चपेट में सिर्फ बुजुर्ग और अधेड़ ही  नहीं बल्कि युवा भी आ रहे हैं। दिल तक खून पहुंचाने वाली नसों में वसा (कोलेस्ट्रॉल) जमने के कई मामले नौजवानों में सामने आए हैं। डॉक्टर इसका  सबसे बड़ा कारण प्रदूषण, धूम्रपान और बेढंगी जीवनशैली को मान रहे हैं। यह खुलासा लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग के शोध में हुआ है। पेश है रिपोर्ट

केजीएमयू के लारी कॉर्डियोलॉजी की इमरजेंसी में दिल का दौरा पड़ने के बाद भर्ती कराए गए 24 युवा मरीजों पर शोध किया गया है। इन युवाओं की उम्र 20 से 25 साल के बीच थी। छह माह शोध चला। लारी कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव चौधरी और डॉ. शरद चन्द्रा के निर्देशन में शोध हुआ।

डॉ. गौरव चौधरी ने बताया कि आमतौर पर नसों में वसा जमने की प्रक्रिया 30 साल की उम्र के बाद से शुरू होती है। यह प्रक्रिया 20 से 25 साल चलती है। यदि व्यक्ति ने संतुलित जीवन जीया तो दिल का दौरा पड़ने के खतरे को टाला जा सकता है। वहीं जो लोग धूम्रपान करते हैं और अधिक प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहते हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। शोध में शामिल मरीज आलमबाग, नाका, चारबाग, इंदिरानगर, विकासनगर आदि क्षेत्रों के निवासी हैं।

नसों के भीतरी हिस्सा का लिया गया चित्र: डॉ. गौरव ने बताया कि भर्ती युवाओं के दिल की जांच की गई। जिसमें दौरा पड़ने की पुष्टि हुई। कारणों का पता लगाने के लिए ओसीटी (ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी) जांच कराई गई। इसमें जांघ या हाथ की नस में कैथेटर दिल की नसों तक पहुंचाया गया। कैथेटर के भीतर फाइबर ऑप्टिक तकनीक से दिल की नसों के भीतरी हिस्से का चित्र लिया है। अभी एंजियोग्राफी में नसों के बाहर से बीमारी का पता लगाया जाता है। ओसीटी से बीमारी का और सटीक पता लगाना आसान हो गया है। जांच में युवाओं में कोरोनरी आर्थिरो इस्कलोसिस बीमारी की पुष्टि हुई। अभी तक यह बीमारी बुजुर्ग या फिर 50 की उम्र पार करने वालों में देखने को मिलती थी। 

बीमारी का पता लगाना आसान

एंजियोग्राफी में खून का थक्का, वसा का जमाव की स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं होती है। ऐसे कई बार डॉक्टर स्टंट डाल देते हैं या फिर खून पतला करने की दवा देते हैं। इस दौरान मरीज को दिक्कत होती है तो दोबारा एंजियोग्राफी करनी पड़ती है। ओसीटी में बीमारी का सटीक पता लगाना आसान हो गया है।

ठीक मिला लिपिड प्रोफाइल
दिल का दौरा पड़ने वाले मरीज की यदि खून की जांचें कराई जाएं तो लिपिड प्रोफाइल गड़बड़ आता है। डॉ. शरद चन्द्रा के मुताबिक भर्ती युवा मरीजों के लिपिड प्रोफाइल की जांच एकदम ठीक पाई गई। प्रदूषण इनकी बीमारी का कारण हो सकता है।

लक्षण
दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को सीने में तेज दर्द होता है

बाएं हाथ में भी दर्द होता है ’  

खूब पसीना आता है

बैठे-बैठे सांस फूलने लगती है 

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