Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़लखनऊYogi Government Increases Scholarships for Sanskrit Students After 24 Years

संस्कृत संस्थानों के 1.5 लाख छात्रों को मिलेगा नई छात्रवृत्ति योजना का लाभ

उत्तर प्रदेश सरकार ने 24 साल बाद संस्कृत छात्रों की छात्रवृत्ति बढ़ाई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में 6वीं से 12वीं तक के छात्रों की छात्रवृत्ति में तीन गुना वृद्धि...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊThu, 29 Aug 2024 06:04 PM
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-योगी सरकार ने ली संस्कृत के विद्यार्थियों की सुध, 24 साल बाद बढ़ाई गई छात्रवृत्ति -2019 से अब तक दो आईएएस, दो एसडीएम, एक डिप्टी एसपी, 3 नायब तहसीलदार सहित कुल 49 अभ्यर्थियों का विभिन्न सेवाओं में हो चुका है चयन

-11 नए राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों और 5 नए आवासीय संस्कृत विद्यालयों की मिली है स्वीकृति

लखनऊ, विशेष संवाददाता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कैबिनेट के तहत राज्य के संस्कृत संस्थानों के छात्रों को छात्रवृत्ति देने के फैसले का लाभ करीब 1.5 से ज्यादा छात्रों को मिलेगा। 24 साल बाद संस्कृत संस्थानों के छात्रों की छात्रवृत्ति में की गई वृद्धि से योगी सरकार ने न सिर्फ 2001 से चली आ रही व्यवस्था में बड़ा सुधार किया है बल्कि युवाओं को संस्कृति से जोड़ने की दिशा में भी अनूठी पहल की है।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में संस्कृत के विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में तीन गुना तक इजाफा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। महत्वपूर्ण ये है कि पहली बार कक्षा 6, 7 और 8 के छात्रों को भी छात्रवृत्ति से जोड़ा गया है। इसमें वार्षिक आय की शर्त को भी हटा लिया गया है, जिससे अब किसी भी आय वर्ग के विद्यार्थी छात्रवृत्ति पाने के लिए पात्र होंगे।

आचार्य के लिए मिलेगी 250 रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति

वर्ष 2001 में संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति की जो व्यवस्था थी, उसके अनुसार पूर्व मध्यमा (कक्षा 9-10) के छात्रों को 50 रुपये प्रतिमाह, उत्तर मध्यमा (कक्षा 11-12) के छात्रों के लिए 80 रुपये प्रतिमाह, शास्त्री के लिए 80 और आचार्य के लिए 120 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जाते थे। योगी सरकार ने 24 साल बाद इस छात्रवृत्ति में संशोधन करते हुए इसमें तीन गुना तक वृद्धि की है।

सरकार का मानना है कि संस्कृत शिक्षा ग्रहण करने वाले ज्यादातर छात्र-छात्राएं निर्धन परिवारों से होते हैं, इसलिए अब नई व्यवस्था के तहत प्रथमा (कक्षा 6,7 और 8) के छात्रों को भी पहली बार छात्रवृत्ति दिए जाने की व्यवस्था की गई है। पहले की व्यवस्था में इन कक्षाओं के छात्रों को किसी भी तरह की छात्रवृत्ति की सुविधा नहीं थी। नई व्यवस्था में प्रथमा के कक्षा 6 एवं 7 के छात्रों के लिए 50 रुपये प्रतिमाह और कक्षा 8 के लिए 75 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ ही, पूर्व मध्यमा (कक्षा 9 व 10) के लिए 100 रुपये, उत्तर मध्यमा (कक्षा 11 व 12) के लिए 150 रुपये, शास्त्री के लिए 200 रुपये एवं आचार्य के लिए 250 रुपये प्रति माह की दर से छात्रवृत्ति प्रदान किए जाने के प्रस्ताव पर मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

संस्कृत को उचित स्थान दिलाने के लिए निरंतर हो रहे प्रयास

योगी सरकार का विजन है कि संस्कृत को उचित स्थान मिलना चाहिए। सरकार लगातार संस्कृत भाषा के पुनरुत्थान के लिए प्रयास कर रही है। इसके तहत माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा संस्कृत विद्यालयों के पुनरुद्धार की योजना लागू की जा चुकी है। उप्र संस्कृत संस्थान की तरफ से निशुल्क कोचिंग भी दिलाई जा रही है। संस्कृत के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी छात्रों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 2019 से अब तक दो आईएएस, दो एसडीएम, एक डिप्टी एसपी, 3 नायब तहसीलदार सहित कुल 49 अभ्यर्थियों का विभिन्न सेवाओं में चयन हो चुका है। यही नहीं 11 नए राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों और 5 नए आवासीय संस्कृत विद्यालयों को मंजूरी मिली है।

वर्जन

संस्कृत भाषा का अध्ययन करने वाले निर्धन छात्रों के उत्साह के लिए छात्रवृत्ति को बढ़ा के उत्तर प्रदेश सरकार के इस प्रशंसनीय कार्य का श्रीकाशीविद्वत्परिषद् परिवार स्वागत करता है।-प्रो. रामनारायण द्विवेदी महामंत्री, श्रीकाशीविद्वत परिषद् वाराणसी

उत्तर प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को प्रोत्साहन हेतु छात्रवृत्ति की घोषणा से संस्कृत विद्यालयों में छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी। यह मुख्यमंत्री के प्रयासों से संभव हो पाया है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बहुत-बहुत बधाई व धन्यवाद ।

विनोद कुमार मिश्रा, महामंत्री, माध्यमिक संस्कृत शिक्षक कल्याण समिति

इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तर प्रदेश लगातार संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य कर रही है। यह निर्णय भी बहुत ही सराहनीय है। इससे संस्कृत के छात्रों को आर्थिक सहायता प्राप्त होगी और वे भी संस्कृत को आधुनिक युग की भाषा बनाने के लिये प्रेरित होंगे।

आचार्य सर्वेश शुक्ला, संस्थापक, श्री स्वामी आत्मानन्द संस्कृत शिक्षण संस्थाऩ, नैमिषारण्य, सीतापुर

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