मिशन शक्ति: सीतापुर में कोई जैविक खेती तो कोई पर्यावरण पर कर रहा है काम

शहर की चकाचौंध से कोसों दूर रहने वाली ग्रामीण क्षेत्र की चार हजार से ज्यादा महिलाएं समूह से जुड़कर कम लागत में जैविक खेती करने का हुनर सीख रही हैं। यह सभी अब खाद और बीज खरीदने के लिए बाजार का चक्कर...

Deep Pandey निज संवाददाता, सीतापुर।Sun, 8 Nov 2020 11:29 PM
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शहर की चकाचौंध से कोसों दूर रहने वाली ग्रामीण क्षेत्र की चार हजार से ज्यादा महिलाएं समूह से जुड़कर कम लागत में जैविक खेती करने का हुनर सीख रही हैं। यह सभी अब खाद और बीज खरीदने के लिए बाजार का चक्कर नहीं लगाती हैं बल्कि घर पर ही केंचुआ खाद और कीटनाशक दवाइयां बनाकर कम लागत में बेहतर उपज हासिल कर रही हैं। इनकी रोजी-रोटी का मुख्य जरिया सब्जी बेचना है, इसलिए घर की खाद और दवाइयों का इस्तेमाल करके सब्जियों की बेहतर उपज ले रही हैं। 
यह सब संभव हुआ मछरेहटा कस्बे की रहने वाली शशिलता के प्रयास से। शशिलता, युवतियों को स्वावलंबी बनाने के साथ ही उनको सामाजिक दुश्वारियों से लड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। मछरेहटा विकास खण्ड की ग्राम पंचायतों में चार सौ समूह की स्थापना करके करीब 4000 निर्धन महिलाओं को जैविक खाद बनाने का हुनर सिखाया। इन्हें भूड़ इलाके में सब्जी की खेती करने के लिए प्रेरित किया। खेत ज्यादा न होने की वजह से ये जमीन के छोटे-छोटे टुकड़ों में कई तरह की मौसमी सब्जियां उगाते हैं, जिससे इनकी रोज की आमदनी हो जाती है। 
 
पर्यावरण जागरुकता की अलख जगा रही डॉ. शशिकला
पर्यावरण की दुर्दशा से प्रकृति का अस्तित्व खतरे में है। वैज्ञानिक इसे बड़ा खतरा बता रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सेक्रेट हार्ट डिग्री कॉलेज की रसायन विभाग की प्रवक्ता डॉ. शशि कला लगातार संघर्षरत हैं। उन्होंने जिले को पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त करने के लिए मुहिम छेड़ रखी हैं। इस मुहिम में उनके साथ 1500 छात्र-छात्राएं हैं। सभी पौधरोपण के साथ पॉलीथीन मुक्त अभियान चला रहे हैं। इस मुहिम में कई शिक्षक भी शामिल हैं। अभियान को दिशा देने में डॉ. शशिकला ने कई स्वयंसेवी संस्थाओं का साथ लिया है। पौधरोपण और पौध वितरण की संख्या जिले में एक लाख से आगे पहुंच गई है। सभी पौधे संरक्षित रहें, इसके लिए वह पौधे के आस-पास रहने वाले लोगों को पर्यावरण प्रदूषण के बारे में शिक्षित भी करती रहती हैं। पॉलिथिन का प्रयोग बंद करवाने के लिए वह लोगों को पॉलिथीन के नुकसान के बारे में भी बताती हैं। 

यशोदा ने सुधारा शिक्षा का स्तर
जिले में अन्नपूर्णा सेवा संस्थान की प्रमुख यशोदा द्विवेदी ने शिक्षा के स्तर को सुधारने की मुहिम 1998 से शुरू की। पहले वह छोटी-छोटी कार्यशाला आयोजित किया करती थीं। फिर संस्था ने बड़ा स्वरूप ले लिया। जिले में वह अब तक 900 से अधिक शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित कर चुकी है। इसमें अध्ययन, कला, खेलकूद, सामान्य ज्ञान सहित अन्य विषय शामिल रहे। स्वयं सहायता समूह के सदस्य ब्लड डोनेशन कैंप लगातार लोगों की मदद करते हैं। 

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