सचिवालय कोआपरेटिव बैंक बंदी के कगार पर, शासन से हस्तक्षेप की गुहार
लखनऊ। विशेष संवाददाता विधानभवन परिसर स्थित सचिवालय कोआपरेटिव बैंक बंदी के कगार पर खड़ा
लखनऊ। विशेष संवाददाता विधानभवन परिसर स्थित सचिवालय कोआपरेटिव बैंक बंदी के कगार पर खड़ा है। इस बैंक को बचाने के लिए बुधवार को सचिवालय पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री के विशेष सचिव बृजेश कुमार से मिला। सचिवालय कर्मियों की सेवा में लगे इस बैंक को बचाने के लिए प्रभावी हस्तक्षेप किए जाने का अनुरोध किया।
आरबीआई ने कहा किसी अन्य बैंक में विलय अथवा क्रेडिट सोसाइटी बनाएं
उत्तर प्रदेश सचिवालय पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य तथा सचिवालय संघ के पूर्व सचिव ओंकार नाथ तिवारी के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल सीएम के विशेष सचिव से मिला। विशेष सचिव को बताया कि सितंबर 2018 से करीब बंदी की हालत में चल रहे सचिवालय कोआपरेटिव बैंक की वर्तमान स्थिति बहुत खराब है। इसे बचाने के लिए प्रभावी हस्तक्षेप किए जाने की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इस बैंक के ऋण व शेयर मनी आदि के लेन देन पर वर्ष 2018 से रोक लगाई गई है। रिजर्व बैंक ने अब इस बैंक का विलय किसी अन्य बैंक में करने अथवा क्रेडिट सोसाइटी में परिवर्तित करने के निर्देश दिए हैं। शिष्टमंडल में गोपी कृष्ण श्रीवास्तव, विनीत कुमार शर्मा, मानस मुकुल त्रिपाठी, अखिलेश कुमार श्रीवास्तव आदि शामिल थे।
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