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Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़लखनऊUP: VIP culture of DM camp office of British era ends

यूपी : ब्रिटिशकाल के ‘डीएम कैंप कार्यालय’ की वीआईपी संस्कृति खत्म  

अंग्रेजों के समय से चल रही शिविर कार्यालय की वीआईपी संस्कृति मौजूदा डीएम ने खत्म कर दी है। अब अन्य अफसर कर्मचारियों की तरह वह सभी काम कलेक्ट्रेट से निपटा रहे हैं। डीएम आवास में अब आपदा या किसी बड़ी...

Deep Pandey ज्ञान प्रकाश, लखनऊSun, 8 Sep 2019 07:50 AM
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अंग्रेजों के समय से चल रही शिविर कार्यालय की वीआईपी संस्कृति मौजूदा डीएम ने खत्म कर दी है। अब अन्य अफसर कर्मचारियों की तरह वह सभी काम कलेक्ट्रेट से निपटा रहे हैं। डीएम आवास में अब आपदा या किसी बड़ी घटना के लिए कंट्रोल रूम और कर्मचारी रहेंगे। अभी तक डीएम लखनऊ के शिविर कार्यालय में बैठकें होती थीं। दफ्तर के काम भी डीएम आवास पर बने शिविर कार्यालय से निपटाते थे।  बस कोर्ट और चंद महत्वपूर्ण बैठकों के लिए डीएम कलेक्ट्रेट जाते थे। इसीलिए मिलने वालों का तांता कलेक्ट्रेट की बजाय डीएम आवास पर लगा रहता था। 
मौजूदा डीएम कौशल राज शर्मा ने इस परिपाटी को बदल दिया है। आजादी से पहले 63 और बाद में 47 अफसर इसी आवास से शिविर कार्यालय चलाते रहे हैं।

एक हजार से अधिक फाइलों का निस्तारण कलेक्ट्रेट से किया: डीएम कौशल राज शर्मा ने व्यवस्था बदलने के बाद सभी फाइलों का निस्तारण कलेक्ट्रेट से शुरू किया। अब तक एक हजार से अधिक फाइलों का निस्तारण हो चुका है। कर्मचारियों ने बताया कि उनको निर्देश हैं कि कोई भी फाइल आवास पर न पहुंचाएं। 

डीसी फिर डीएम का दफ्तर कही जाती थी ‘कोठी नूर बख्श’
नवाबों के समय बनी कोठी नूर बख्श में डीएम आवास है। यहां के पहले (17.3.1865 से 23.3.1871) डीसी यानी डिप्टी कमिश्नर जी डब्ल्यू क्विंटन थे। तब इलाहाबाद और लखनऊ के लिए एक डीसी होता था पर संचालन लखनऊ से होता था। उस समय सभी कार्य यहां के शिविर कार्यालय से होते थे। आजादी से पहले आईसीएस एडी पंडित 27 अक्तूबर 1946 को डीसी बने। वह 25 अगस्त 1948 तक रहे। इतिहासविद् योगेश प्रवीण बताते हैं कि नवाब आसिफुद्दौला के समय क्लाइव मार्टिन लखनऊ आया तो नवाब ने उसको आधुनिक लखनऊ की इमारतों का जिम्मा दिया। उसके साथ आए अर्किटेक्ट इसमें जुट गए। मौजूदा समय का गर्वनर हाउस यानी तब कोठी हयात बख्श तभी बनी थी। तभी डीएम आवास भी बना था।

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