निजीकरण थोपा तो इसके गंभीर दुष्परिणाम होंगे: संघर्ष समिति
Lucknow News - लखनऊ, विशेष संवाददाता विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने कहा है कि
लखनऊ, विशेष संवाददाता विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने कहा है कि बिजली जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में जिद कर निजीकरण थोपना राज्य और ऊर्जा क्षेत्र के हित में नहीं है। जबरिया निजीकरण थोपा गया तो इसके गंभीर दुष्परिणाम होंगे जिसकी कल्पना प्रबंधन में बैठे हुए आईएएस अधिकारियों को नहीं है। आम जनता और बिजली कर्मचारियों के हित में निजीकरण वापस होने तक संघर्ष जारी रहेगा।
आंदोलन जारी रहेगा
मंगलवार को जारी बयान में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा है कि बिजली निजीकरण के विरोध में काली पट्टी बांधने का अभियान पूरे सप्ताह जारी रहेगा। 15 जनवरी को भी बिजली कर्मी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे और भोजन अवकाश या कार्यालय अवधि के बाद जिलों व परियोजना मुख्यालयों पर विरोध सभाएं करेंगे।
आरोप, निजीकरण से बड़े घोटाले की तैयारी
पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा कंसल्टेंट चयन के लिए जारी आरएफपी डॉक्यूमेंट से साफ है कि निजीकरण को लेकर बड़े घोटाले की तैयारी है। निजीकरण के लिए समय सीमा पर बहुत सख्त रहने की बात बार-बार लिखी गई है। जिससे यह स्पष्ट है कि प्रबंधन का उद्देश्य सुधार नहीं अपितु कैसे भी जल्दी से जल्दी निजीकरण करना है। बिजली व्यवस्था में सुधार का पूरे डॉक्यूमेंट में एक बार भी उल्लेख नहीं किया गया है। बिडर यानी पीपीपी माडल पर बिजली कंपनियों का चयन क्वालिटी एंड कॉस्ट बेस्ड सेलेक्शन के आधार पर किया जा रहा है। जिसमें चयन का अधिकार प्रबंधन के पास अधिक होता है। प्रबंधन ने पहले से ही नाम तय कर रखा है और टेंडर एक औपचारिकता मात्र है।
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