छह दिनों से भूखे बाघ के लिए बांधा शिकार, विशेषज्ञ इस बार तैयार
Lucknow News - बाघ का खौफ -रहमान खेड़ा संस्थान के जंगल में शोधकर्मी को दिखी बाघ की हलचल
बीते रविवार को पड़वे का शिकार करने के बाद बाघ छह दिनों से भूखा है। ऐसे में बाघ शिकार करने आएगा, इसलिए संस्थान में अब पांच पिंजरे लगाकर शिकार बांधे गए है और पोर्टेबल मचान में डॉक्टर बैठकर बाघ के आने का इंतजार कर रहे, ताकि बाघ को गाइडलाइन के तहत ट्रैंकुलाइज किया जा सके। वहीं शुक्रवार को उलरापुर के जंगलों में भी हथियों से कॉम्बिंग कराई गई। बाघ को जोन एक में रखने के लिए डायना और सुलोचना से कॉम्बिंग कराई जा रही है। मीठे नगर के जंगल में लगे एक पिंजरे को संस्थान में झाड़ियों के पास भी लगाया गया है। रहमान खेड़ा के जंगलों सहित आसपास के गांव में बाघ की दहशत तो है ही अब केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों सहित मजदूरों में भी दहशत फैल गई है। संस्थान में बागवानी सहित कृषि शोधकार्य प्रभावित हो रहे हैं। डीएफओ डॉ. सितांशु पाण्डेय ने बताया कि संस्थान में बेहता नाला के किनारे आम की बाग में शोधकर्मी व वन विभाग के वॉचर को झाड़ियों में बाघ की हलचल मिली। सूचना पर पहुंची वन विभाग की टीम को बाघ के पगचिन्ह मिले। वहीं संस्थान के बेल वाले ब्लॉक में पोर्टेबल मचान के पास पड़वे के मृत शरीर के आसपास भी बाघ नही आया।
बेहता नाले के पास बाघ का ताजे पगचिह्न मिले
शुक्रवार की सुबह संस्थान में बेहता नाला के किनारे स्थित आम की बाग में वन विभाग के वॉचर की उपस्थिति में वैज्ञानिक शोध कार्य कर रहे थे तभी एक शोधकर्मी को झाड़ियों में बाघ की हलचल दिखी। पास में खड़े वॉचर ने हलचल देख वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी। मौके पर वन विभाग के कर्मचारियों ने जांच पड़ताल की जिसमे बाघ के ताजे पगचिह्न पाये गए जो बेहता नाले के किनारे से होते हुए उलरापुर के जंगलों की तरफ गए थे।
ग्रामीणों को बाघ मित्र बनाकर बांटे गए बैज
डीएफओ ने बताया कि संस्थान के आसपास के ग्रामीणों को बाघ मित्र बनाया गया है। शुक्रवार को बाघ मित्रों को बाघ बैज देकर महमूदनगर, कसमंडी, हबीबपुर, उलरापुर, मेहंदीनगर और कुशमौरा गांव के ग्रामीणों को जागरूक किया गया। साथ ही वन्यजीव दिखाई देने पर वन विभाग को सूचना देने की अपील की गई। इसके लिए गांव-गांव पोस्टर के जरिए सर्तक रहने और मोबाइल नंबर जारी किया गया है।
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