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रहमान खेड़ा से आठ किमी. दूर बाघ ने गाय का किया शिकार

Lucknow News - दहशत -जंगल से बाहर निकला बाघ, आबादी में पहुंचने से फिर बढ़ी दहशत -रहमान

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 12 Jan 2025 11:11 PM
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रहमान खेड़ा के जंगल में गड्ढा बनाकर बाघ को पकड़ने की तैयारी धरी की धरी रह गई। दो दिनों में बाघ जंगल से आठ किलोमीटर दूर पहुंचा गया और गाय को अपना 12वां शिकार बनाया। ग्रामीणों के इस सूचना से वन विभाग की तैयारियों पर पानी फेर दिया। इस बीच रहमान खेड़ा के जंगल में वन विभाग शिकार को बांधकर बाघ पकड़ने का इंतजार करता रहा। इस बीच पहली बार शनिवार की देर रात बाघ जंगल निकलकर आठ किमी. दूर बहेलिया गांव में गाय का शिकार करके मार डाला और पीछे का कुछ हिस्सा खाकर निकल गया। रविवार की दोपहर खेत पहुंचे किसान शीतला प्रसाद ने खेत में गाय का शव पड़ा देख ग्रामीणों को सूचना दी। ग्राम प्रधान ने बताया कि दोपहर में वन विभाग को सूचना दी गयी थी, लेकिन वन विभाग की टीम शाम को पहुंची। अंधेरा हो जाने के कारण वन विभाग की टीम ने कॉम्बिंग नही की।

वन संरक्षक ने वन कर्मियों को लगाई फटकार

प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव अनुराधा बेमुरी और अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. रेणु सिंह ने रविवार सुबह रहमान खेड़ा संस्थान के जंगल का दौरा किया। इस दौरान अनुराधा बेमुरी ने बाघ पकड़ने में लगी वन विभाग की टीम को फटकार लगाई और कहा कि रणनीति तैयार कर बाघ को जल्द से जल्द सुरक्षित रेस्क्यू किए जाने के सख्त निर्देश दिए।

नए मचान के पास शिकार बांघकर कर रहे निगरानी

डीएफओ डॉ. सितांशु पाण्डेय ने बताया कि शनिवार देर रात बाघ ने गाय का शिकार किया था। सूचना देर से मिलने के कारण मौके पर पहुंची वन विभाग को खेत में बाघ के पगचिह्न मिले थे। रहमान खेड़ा जंगल के जोन दो में एक नए मचान को बनाया गया है। नए मचान और संस्थान के अंदर बने मचान के पास शिकार को बांधकर निगरानी की जा रही है।

जंगल में तैनात हुई विशेषज्ञों की फौज

इन दिनों काकोरी के रहमान खेड़ा में बाघ पकड़ने के लिए विशेषज्ञों की फौज तैनात कर दी गई है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक रेणु सिंह और सीतापुर के डीएफओ नवीन खंडेलवाल ने मचान वाले इलाके का निरीक्षण किया एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित कॉम्बिंग टीम को दिशा निर्देश दिए। बाघ पकड़ने में विशेषज्ञ और डब्लूटीआई के साथ काम कर चुके प्रेम चंद्र पाण्डेय को दुधवा से बुलाया गया है। प्रेम चंद्र पाण्डेय कई सफल बाघ रेस्क्यू ऑपरेशन कर चुके है। 2012 में रहमान खेड़ा में आये बाघ को ट्रैंकुलाइज कर पकड़ने में अहम योगदान रहा है। इसके अलावा कुकरैली, दुधवा, लखीमपुर खीरी, कन्नौज, शाहजहांपुर से विशेषज्ञ बुलाए गए है।

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