धर्मवीर, शेक्सपियर के नाटकों और निराला-बच्चन की कविताओं से सजा मंच
लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग और सांस्कृतिकी द्वारा आयोजित थिएटर शो में छात्रों ने उत्कृष्ट अभिनय कौशल का प्रदर्शन किया। मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय और...
- एलयू के अंग्रेजी एवं आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग और सांस्कृतिकी की ओर से थिएटर शो हुआ - छात्रों ने अभिनय कौशल का अनूठा नमूना पेश कर पात्रों में जान डाल दी
लखनऊ, संवाददाता।
लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी एवं आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग और सांस्कृतिकी की ओर से थिएटर शो का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय और विशिष्ट अतिथि प्रख्यात नाट्यकर्मी ललित सिंह पोखरिया रहे। यहां इंग्लिश थिएटर ग्रुप के सदस्यों ने अपने अभिनय कौशल का अनूठा नमूना पेश कर पात्रों में जान डाल दी।
विलियम शेक्सपियर के नाटक एज यू लाइक इट से ऑल द वर्ल्ड इज ए स्टेज को पुनीत पाठक ने प्रस्तुत किया। रामधारी सिंह दिनकर के रश्मिरथी से कृष्ण चेतावनी का प्रस्तुतीकरण आदित्य शर्मा की मंत्रमुग्ध करने वाली बांसुरी के साथ हुआ। धर्मेंद्र कुमार भार्गव ने स्वदेश दीपक के कोर्ट मार्शल से कर्नल सूरज सिंह का मंचन कर सैन्य सम्मान और न्याय से जुड़े मुद्दों को उभारा। विजय तेंडुलकर के मराठी नाटक जात ही पूछो साधु की से महिपत बभ्रुभान को नितीश कुमार सिंह ने प्रस्तुत कर सामाजिक पहचान और जाति व्यवस्था के विषयों को उठाया गया। धर्मवीर भारती के अंधा युग से गांधारी को रिया अनुज और विलियम शेक्सपियर के द किंग लियर के उद्घाटन दृश्य का मंचन आदित्य वर्मा, संशाली राज, रिया श्रीवास्तव और अनन्या सिंह ने किया। अंकित यादव ने मोहन राकेश के आधे अधूरे से काले सूट वाला, रामधारी सिंह दिनकर के रश्मिरथी से कर्ण कृष्ण संवाद को यावर अली खान, वंशिका श्रीवास्तव, और अजीत शुक्ला ने प्रस्तुत किया। वहीं आधे अधूरे में श्रद्धा शुक्ला ने सावित्री के चरित्र को निभाया। सांस्कृतिकी निदेशक प्रो. अंचल श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष प्रो. एम. प्रियदर्शिनी समेत कई अन्य उपस्थित रहे।
निराला और बच्चन की कविताएं पढ़ी
छात्रा सौम्या कनौजिया ने अनूठे अंदाज में सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला की कविता तोड़ती पत्थर और मनीषा पाल ने हरिवंश राय बच्चन की जो बीत गई सो बात गई का पाठ किया।
पंचतंत्र से हास्य नाटक का मंचन
अभिनव शुक्ला, अनन्या शुक्ला, बुद्धप्रिया गौतम, और नुमा खान ने पंचतंत्र से किसका पैसा, कैसा पैसा पर एक हास्यपूर्ण नाटक कर लोभ की मूर्खता, ज्ञान और संपत्ति के मूल्य को उजागर किया गया।
संशाली के भरतनाट्यम ने मोहा मन
संशाली राज ने पारंपरिक भारतीय नृत्य भरतनाट्यम प्रस्तुत किया। उनकी बारीक पांव-ताल और भाव-भंगिमा ने भारतीय संस्कृति की सुंदरता को जीवंत किया।
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