टीबी के खात्मे के लिए केजीएमयू कर्मचारियों की पहल
Lucknow News - लखनऊ में केजीएमयू कर्मचारियों ने टीबी के मरीजों को गोद लेकर उनकी देखभाल करने की अनोखी पहल शुरू की है। डिप्टी नर्सिंग सुपरीटेंडेंट प्रदीप गंगवार ने बताया कि टीबी अब अमीरों की बीमारी नहीं रही, बल्कि यह...
मरीजों को गोद लेकर टीबी मुक्त भारत बनाने की मुहीम से जुड़े अमीरों के बजाए गरीबों को जकड़ रही टीबी
लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता। टीबी के खात्मे के लिए केजीएमयू कर्मचारियों ने अनोखी पहल की है। टीबी मरीजों को गोद लेने व देखभाल करने की दिशा में कदम उठाया है। सबसे पहले डिप्टी नर्सिंग सुपरीटेंडेंट ने तीन मरीजों को गोद लिया है।
केजीएमयू कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष और डिप्टी नर्सिंग सुपरीटेंडेंट प्रदीप गंगवार ने शनिवार को पत्रकार वार्ता में बताया कि टीबी अब अमीरों की बीमारी नहीं रही। गरीबों को बीमारी आसानी से जकड़ रही है। कुपोषण, गंदगी, कम इम्युनिटी व गंभीर बीमारी से पीड़ितों को आसानी से टीबी चपेट में ले रही है। लक्षण को नजरअंदाज करने से टीबी के बैक्टीरिया एक से दूसरे में फैल रहे हैं। संक्रमण रोकने के लिए टीबी की समय पर पहचान जरूरी है।
उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों को डॉट्स सेंटर में मुफ्त दवाएं मिल जाती हैं। पोषण के लिए 500 रुपए प्रतिमाह मिल रहे हैं। कई बार मरीजों को पोषण भत्ता नाकाफी साबित होता है। सही पोषण से टीबी का खात्मा आसानी से किया जा सकता है। प्रदीप गंगवार ने बताया कि इस साल उन्होंने तीन टीबी मरीजों को गोद लिया है। इनमें से दो मरीज एमडीआर टीबी के हैं। उनकी पहल के बाद कई अन्य कर्मचारियों ने टीबी मरीजों को गोद लेना शुरू किया है। प्रदीप गंगवार ने बताया कि इस मुहिम से जोड़ने के लिए किसी ने नकद सहायता न लेने की शर्त रखी गई है। कर्मचारी या फिर बाहरी व्यक्ति भी इससे जुड़ सकता है। टीबी के एक मरीज को पोषण युक्त खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने में करीब 1500 रुपए मासिक खर्च आता है। जबकि एमडीआर टीबी के मामले में यह खर्च 2500 रुपए आता है। जो कर्मी अपने वेतन से इतना खर्च वहन नहीं कर सकते वे कुछ लोगों के साथ मिलकर एक मरीज को गोद ले सकते हैं।
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