डिजीटल अरेस्ट करने वाले गिरोह के दो और सदस्य गिरफ्तार
कमीशन में मिली रकम से फ्लैट व लग्जरी गाड़ी खरीदी लखनऊ में शहीद पथ के
एसटीएफ ने डिजीटल अरेस्ट कर अरबों रुपए की ठगी कर चुके गिरोह के दो और सदस्यों को लखनऊ से शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। इन दोनों ने कई बैंक खाते गिरोह के सरगना को उपलब्ध कराए थे। इसमें मिले कमीशन से ही दोनों ने लाखों रुपए की कीमत के राजस्थान में फ्लैट और लग्जरी गाड़ियां खरीदी। इस गिरोह के सरगना समेत पांच लोगों को एसटीएफ ने शुक्रवार को हरियाणा से पकड़ा था। एसटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह के मुताबिक शनिवार को पकड़े गए सदस्यों में नोएडा के होशियारपुर निवासी राजकुमार सिंह और झांसी के इसाई टोला निवासी संदीप दोहरे हैं। ये लोग भी अलीगंज के डॉ. अशोक सोलंकी को डिजीटल अरेस्ट कर रुपए हड़पने में शामिल थे। मूल रूप से राजस्थान के बानसुर निवासी राज कुमार सिंह ने एसटीएफ को बताया कि दोस्त विवेक प्रजापति ने उससे कारपोरेट एकाउन्ट की व्यवस्था करने पर मोटा कमीशन देने की बात कही थी। गिरोह का सदस्य पंकज डिजिटल अरेस्ट की ट्रेनिंग कर कम्बोडिया से लौटा तो वह लोग उसके साथ जुड़ गए थे। सभी लोग नोएडा के एक होटल में अक्सर रुकते थे। यहीं पर कुछ समय पहले आठ करोड़ रुपए की ठगी की। इसमें 30 प्रतिशत कमीशन मिला। अन्य रकम क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से गिरोह के सरगना को पहुंचा दी गई थी। दीपावली के कुछ दिन पहले केवीबी बैंक एकाउंट के माध्यम से 36 लाख रुपए की धोखाधड़ी की। इसमें सात लाख रुपए कमीशन मिला था। सात दिन पहले ही ढाई करोड़ रुपए की केनरा बैंक के खातों में रकम मंगवाकर ठगी की। आरोपी संदीप दोहरे ने बताया कि उसने गिरोह के सदस्य सागर को 50 से अधिक बैंक खातों का ब्योरा उपलब्ध कराया था। एसटीएफ ने गिरोह के सरगना पंकज सुरेला, सागर, सनी वर्मा, अंशुल माहौर और अभय सिंह को पकड़ा था। इन लोगों ने ही गिरोह के कई नेटवर्क का खुलासा किया था। इस आधार पर एसटीएफ कई और लोगों की तलाश कर रही है।
कम्बोडिया में देश के 100 लोगों को दी गई ट्रेनिंग
सरगना पंकज ने खुलासा किया था कि उसे मार्च, 2024 में कम्बोडिया बुलाया गया था। वहां सुरेश सेन ने तीन लाख रुपये लेकर भेजा था। राजस्थान के अलवर निवासी बस्तीराम यादव और पाकिस्तान का एक नागरिक उसे एयरपोर्ट से करीब 500 किमी. दूर कम्पनी के आफिस लेकर गया। वहां पर चीन के पास छह लोग थे। यहां पर पहले से भारत, पाकिस्तान व नेपाल के लोग करते मिले। इन लोगों ने ही ट्रेनिंग दी कि किस तरह से कस्टम, सीबीआई और नारकोटिक्स अधिकारी बनकर लोगों को कॉल करना है। फिर भिन्न खातों में रकम डलवानी है। उसने यह भी खुलासा किया कि भारत में इन खातों के संचालन के लिए कंपनी के लोग रहते हैं। इनका एक आदमी कम्बोडिया में सिक्योरिटी के रूप में रहता है। बैंक खातों में आई रकम का 30 प्रतिशत इन लोगों को कमीशन के तौर पर दिया जाता है।
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