श्रीराम भक्त हनुमान की पीठ पर भगवान हैं
इन्दिरा नगर सेक्टर 20 में श्रीराम कथा लखनऊ प्रमुख संवाददाता इंदिरा नगर, सेक्टर-20 पार्क नम्बर
इन्दिरा नगर सेक्टर 20 में श्रीराम कथा लखनऊ प्रमुख संवाददाता
इंदिरा नगर, सेक्टर-20 पार्क नम्बर -दो में आयोजित श्रीराम कथा में वृंदावन के कथा वाचक पंडित नीलेश शास्त्री ने कहा कि मनुष्य की पीठ पर पाप होता है। श्रीराम भक्त हनुमान जी की पीठ पर भगवान है। नौ दिवसीय श्रीराम कथा के अंतिम दिन उन्होंने महावीर हनुमान जी की महिमा का बखान किया।
बोले कि सनातन धर्म में मुंडन की व्यवस्था है। क्योंकि माना गया है कि पाप पीठ से होते हुए शीर्ष तक जाता है और बालों में पहुंच जाता है। इसलिए उनका त्याग कर दिया जाता है। यह बात उन्होंने उस प्रसंग में कही जब श्रीराम और लक्ष्मण को हनुमान जी कंधों पर बैठाकर ले जाते हैं। कथा के समापन पर भंडारे का आयोजन किया गया। इसके पूर्व पहले दिन ब्रिजेन्द्र सिंह, गंगा प्रसाद सिंह, आशा सिंह, सुधाकर सिंह की ओर से शोभा यात्रा निकाली गई। इसमें रमेश पत्ति, पूर्णिमा समेत 100 से अधिक लोग शामिल हुए।
सांस दोबारा आएगी इसकी भी गारंटी नहीं
पंडित नीलेश शास्त्री ने कहा कि किस क्षण क्या होगा, नियति ने क्या लिखा है यह कोई नहीं जानता। यहां तक कि अगली सांस मनुष्य ले पाएगा या नहीं, इसका भी नहीं पता। ऐसे में भगवान से बड़ा कोई रक्षक नहीं। यहां तो हर कदम पर मृत्यु खड़ी है। आपके मोबाइल पर कब बुरी खबर आ जाए आप नहीं जानते। उन्होंने बताया कि अयोध्या पहुंचने जब श्रीराम के दरबार में सभी के कार्य तय हो गए। इस पर लोगों ने हनुमान जी से कहा कि आपका नाम तो इस सूची में नहीं है। इस पर उन्होंने कहा कि जब प्रभु को जम्हाई आएगी तो चुटकी बजाने का कार्य मेरा है। यह सेवा मैं कर लूंगा। विद्यावान, गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर...इसीलिए कहा गया है। हनुमान जी समझदार हैं। उन्हें पता था कि हर कार्य का समय निर्धारित है लेकिन जम्हाई तो कभी भी आ सकती है। ऐसे में प्रभु की 24 घंटे सेवा का कार्य उनको मिल गया।
कनक भवन में प्रवेश के लिए शरीर पर लगाया सिंदूर
जब हनुमान जी प्रभु श्रीराम और माता सीता के पीछे कनक भवन में जाने लगे तो द्वार पर खड़ी दो स्त्रियां बोलीं कि यहां सिर्फ सौभाग्यवती स्त्री का ही प्रवेश है। हनुमान जी ने पूछा यह क्या होता है, इस पर दोनों बोलीं कि जिस स्त्री की मांग में सिंदूर हो। इस पर हनुमान जी ने पूरे शरीर पर घी में मिला कर सिंदूर लगा दिया। बोले कि जब सिंदूर से पति प्रसन्न हो सकते हैं तो हमारे रघुपति क्यों नहीं होंगे।
रामराज्य की विशेषता थी बिना मोल के मिलता था सामान
पंडित नीलेश शास्त्री ने कहा कि राम राज्य की विशेषता थी कि जो व्यापारी थे वह व्यापार तो करते थे लेकिन बाजार में सभी वस्तुएं निशुल्क थीं। अयोध्या में इतना धन था जिसकी कोई सीमा नहीं। समाज की व्यवस्था चलाने के लिए स्वयं परमात्मा पूर्ण ब्रह्म राजा थे। समाज की व्यवस्था चलती रहे, हर वर्ग अपने दायित्व का निर्वहन करता था। उसमें धनाकांक्षा नहीं थी।
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