गांधी और अंबडेकर की विचारधारा से सामाजिक न्याय को बढ़ावा
लखनऊ विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में गांधीवाद और अंबेडकरवाद पर एक सेमिनार आयोजित हुआ। वक्ता अनुज शंकर मिश्रा ने बताया कि गांधी ने समानता और अहिंसा का समर्थन किया, जबकि अंबेडकर ने सामाजिक न्याय...
लखनऊ, संवाददाता। लखनऊ विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में गांधीवाद और अंबेडकरवाद के मध्यमार्गी से राष्ट्र निर्माण पर सेमिनार हुआ। व्याख्यान श्रृंखला के तहत वक्ता अनुज शंकर मिश्रा रहे। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी ने समाज में समानता और अहिंसा के सिद्धांतों पर जोर दिया। अर्थव्यवस्था में स्वदेशी का समर्थन किया। जबकि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने समानता, सामाजिक न्याय के लिए संवैधानिक सुधारों और गतिशील अर्थव्यवस्था का समर्थन किया। बताया कि इन दोनों विचारधाराओं के मध्य मार्ग को अपनाकर राष्ट्र निर्माण के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण तैयार किया जा सकता है, जिसमें गांधी के सामाजिक सद्भाव और अंबेडकर के कानूनी सुधारों का सामंजस्यपूर्ण उपयोग किया जा सके। उन्होंने बताया कि इन दोनों विचारधाराओं का संतुलित संयोजन भारत में समरसता, सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है। विभागाध्यक्ष डॉ. रजनी श्रीवास्तव, विभाग के प्राचार्य प्रोफेसर राकेश चंद्रा, डॉ. राजेंद्र वर्मा, डॉ. प्रशांत शुक्ला उपस्थित रहे।
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