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संघ का अभियान इस बार दीपावली बनेगी कामधेनु दीपावली

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वदेशी को बढ़ावा देने तथा गौ संरक्षण व संवर्धन के लिए दीपावली के शुभ दिन को चुना है। दीपावली को इस बार कामधेनु दीपावली बनाने की तैयारी की गई है। गाय के गोबर और गौमूत्र से...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊFri, 16 Oct 2020 08:11 PM
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-गाय के गोबर और गौमूत्र से राज्य में तैयार कराए जा रहे हैं 11 करोड़ दीए राज्य मुख्यालय। प्रमुख संवाददाताराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वदेशी को बढ़ावा देने तथा गौ संरक्षण व संवर्धन के लिए दीपावली के शुभ दिन को चुना है। दीपावली को इस बार कामधेनु दीपावली बनाने की तैयारी की गई है। गाय के गोबर और गौमूत्र से राज्य में 11 करोड़ दीये के साथ ही लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, स्वास्तिक आदि तैयार किए जा रहे हैं। पांच नवंबर से राज्य के शहरों और कस्बों में स्टाल लगाकर गोमूत्र व गोबर से तैयार दीये और मूर्तियों की बिक्री शुरू की जाएगी। एक दीये की कीमत एक से लेकर पांच रुपये तक है। संघ से जुड़ी संस्था सहकार भारती ने इस काम के लिए चार हजार स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर दीये बनवाने शुरू किए हैं। चार हजार समूहों की करीब 42 हजार महिलाएं इस काम में लगी हैं। देश के अन्य राज्यों में भी यह काम चल रहा है। प्रांतीय गोसंवर्धन व गौपालक प्रमुख उमाकांत गुप्ता ने बताया है कि स्वदेशी, स्वावलंबन, पर्यावरण, सामाजिक समरसता तथा गौ संवर्धन को लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तथा सम वैचारिक संगठनों ने इस दीपावली को कामधेनु दीपावली बनाने की दिशा में काम शुरू किया है। लखनऊ में भी बन रहे हैं गोबर के दीयेलखनऊ स्थित मलिहाबाद गौशाला में लगभग 150 महिलाओं द्वारा पर्यावरण के अनुकूल गाय के गोबर से दीपक, हवन के लिये लकड़ी आदि प्रमुख रूप से तैयार किये जा रहे हैं। राजाजीपुरम में चल रहे केंद्र के प्रमुख तुषार श्रीवास्तव ने बताया कि उनके यहां दीपक, गणेश लक्ष्मी की मूर्ति, बंदनवार, स्वास्तिक, श्री आदि उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।स्देशी के साथ स्वावलंबन व रोजगारसंघ का लक्ष्य इस बार गाय के गोबर से बनें इन दीयों की रोशनी के बीच स्वावलंबन और स्वरोजगार को बढ़ाना है। मोमबत्ती और चीन में बने झालरों का प्रयोग दीपावली पर लोग ना करें इसके लिए कार्यकर्ता समाज के लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि ये सभी उत्पाद पर्यावरण के लिए लाभकारी हैं। सहकार भारती और सेवाभारती के कार्यकर्ताओं द्वारा भी इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

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