लखनऊ मेडिकल कॉलेज से इस्तीफों का दौर, अब हार्ट सर्जन ने छोड़ा
केजीएमयू में गेस्ट्रो सर्जन डॉ. साकेत कुमार के बाद अब कॉर्डियो थोरैसिक वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के डॉ. विजयंत देवनराज ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया है। आलमबाग स्थित निजी...
केजीएमयू में गेस्ट्रो सर्जन डॉ. साकेत कुमार के बाद अब कॉर्डियो थोरैसिक वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के डॉ. विजयंत देवनराज ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया है। आलमबाग स्थित निजी अस्पताल में उन्होंने नौकरी ज्वाइन भी कर ली है।
विभागीय उठापटक से लेकर मन खिन्न था : सीटीवीएस विभाग पहले प्लॉस्टिक सर्जरी विभाग के पीछे हिस्से में संचालित हो रहा था। 2011 में नए भवन में विभाग शिफ्ट हुआ। विभाग में 40 बेड हैं। छह डॉक्टर थे। इनमें पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. शेखर टंडन निलंबित चल रहे हैं। डॉ. विवेक दो साल से प्रशिक्षण पर बाहर हैं। मौजूदा समय में विभागाध्यक्ष डॉ. एसके सिंह, डॉ. सर्वेश और डॉ. अम्बरीश कुमार मरीजों को इलाज उपलब्ध करा रहे हैं।
विभाग में रोज 100 से 150 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। दो से तीन मरीजों की दिल की सर्जरी हो रही है। गत 14 मार्च को सीटीवीएस विभाग के डॉ. विजयंत ने इस्तीफा दे दिया है। डॉ. विजयंत ने 2009 में केजीएमयू में एमसीएच में दाखिला लिया था। 2012 में कोर्स पूरा किया। एमसीएच के बाद एक साल बतौर सीनियर रेजीडेंट तैनात रहे। 2013 में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सीटीवीएस विभाग में नौकरी ज्वाइन की। 2016 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति मिली।
बीते कुछ समय से विभाग में उठा-पटक चल रही है। विभागाध्यक्ष के पद से लेकर दूसरी बातों को लेकर विवाद चल रहा है।
दिल के मरीजों की बढ़ी मुश्किलें: सीटीवीएस विभाग में ओपेन हार्ट सर्जरी, वॉल्व प्रत्यारोपण समेत दिल की दूसरी गंभीर बीमारी से पीड़ितों का ऑपरेशन की सुविधा है। डॉक्टर के जाने से मरीजों को खासी दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं। ऑपरेशन के लिए मरीजों को और लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
सात ने नौकरी छोड़ी
25 मार्च को सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. साकेत कुमार
नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. संत पांडेय
आर्गेन ट्रांसप्लांट विभाग के डॉ. संत पांडेय
नर्सिंग की डॉ. फौजिया जोवद
क्लीनिकल इंस्ट्रक्टर कीर्ति मोहन, शैली
रेडियोडायग्नोसिस विभाग की डॉ. अंजुम सईद
आर्थोपेडिक विभाग के डॉ. विनीत कुमार
डॉक्टरों को रोक पाने में नाकाम प्रशासन
लगातार डॉक्टर केजीएमयू छोड़ रहे हैं। इन्हें रोक पाने में केजीएमयू प्रशासन पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। इससे केजीएमयू की कार्यशैली व नीतियां सवालों के घेरे में आ गई है। डॉक्टरों का कहना हैं कि डॉक्टरों के जाने से केजीएमयू की साख को भी धक्का लग रहा है। सरकार हर साल 910 करोड़ रुपये का बजट दे रही है। उसके बावजूद केजीएमयू प्रशासन डॉक्टरों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं। बदइंतजामी हावी है। हालात हैं कि नेफ्रोलॉजी विभाग में जरूरत के हिसाब से डॉक्टरों की तैनाती की मांग उठी थी। इसके बावजूद केजीएमयू प्रशासन ने नियमित डॉक्टर की बात तो दूर अतिरिक्त रेजीडेंट तक नहीं दिया। वहीं डेंटल विभाग में पद से ज्यादा रेजीडेंट की तैनाती की गई। इस तरह की नीतियों से ऊबकर डॉक्टर केजीएमयू छोड़ रहे हैं। इसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है।
विभाग में कब क्या हुआ
1970 में पहल पेसमेकर प्रत्यारोपित किया गया
1981 में पहला ओपेन हार्ट सर्जरी हुई थी
1982 में पहला कोरोनरी अटरी बाइपास सर्जरी हुई
1983 में पहली बार सिंगल हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट
1991 में पहली बार डबल (दो) हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट
1997 में पहली बार वीडियोस्कोपित थोरैकोस्कोपी सर्जरी
2002 में पहली बार धड़कते दिल पर ऑपरेशन।
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