लखनऊ मेडिकल कॉलेज: जूनियर को मुर्गा बना रहे सीनियर
केजीएमयू में सीनियर छात्र वॉट्सएप के बाद खुलेआम रैगिंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं। हालात यह है कि जूनियर छात्रों को सीनियर मुर्गा बनाकर रैगिंग कर रहे हैं। मुर्गे की आवाज भी निकालने को मजबूर करते हैं।...
केजीएमयू में सीनियर छात्र वॉट्सएप के बाद खुलेआम रैगिंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं। हालात यह है कि जूनियर छात्रों को सीनियर मुर्गा बनाकर रैगिंग कर रहे हैं। मुर्गे की आवाज भी निकालने को मजबूर करते हैं। यह खुलासा पीड़ित छात्रों ने जांच-पड़ताल में किया। केजीएमयू प्रशासन ने रैगिंग के आरोपी 13 छात्रों को हॉस्टल से निष्कासित कर कक्षाओं से निलंबित कर दिया है। हालांकि आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए अभी तक सभी छात्रों ने हॉस्टल खाली नहीं किया है।
एमबीबीएस 2017 बैच के आठ छात्रों ने रैगिंग की शिकायत दर्ज कराई है। पीड़ितों ने 13 छात्रों पर रैगिंग का इलजाम लगाया था। पीड़ितों का आरोप है कि सीनियर ने रात में एसपीएम विभाग की पार्किंग में पकड़ लिया था। वहां मुर्गा बनाया। मुर्गे की आवाज निकालने को कहा। इसका विरोध करने पर पिटाई करने की धमकी दी थी। शिकायत के बाद चीफ प्रॉक्टर डॉ. आरएएस कुशवाहा ने आरोपित 2015 व 2016 बैच के 13 छात्रों को कक्षाओं से निलंबित कर दिया। इन छात्राओं को हॉस्टल से निष्काषित कर दिया गया था।
डरे सहमे हैं छात्र
रैगिंग रोकने के लिए केजीएमयू में प्रॉक्टोरियल बोर्ड है। इनमें 30 से ज्यादा सदस्य हैं। कुछ सदस्यों को छोड़ बाकी अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। डरे-सहमे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित है। हालात यह हैं कि छात्र मोबाइल तक ऑन करने में घबरा रहे हैं। आधी रात में छात्रों को मोबाइल पर प्रताड़ित किया जा रहा है।
जूनियर छात्रों को अधिकारियों के नंबर दिए गए हैं : चीफ प्रॉक्टर
सवाल : रैगिंग की घटना क्यों नहीं रुक पा रही है?
जवाब : रैगिंग रोकने के पुख्ता इंतजाम हैं। सीसीटीवी लगाए गए हैं। सुरक्षा गार्ड तैनात हैं। प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों को अलर्ट कर दिया गया है। सुरक्षा के इंतजाम बढ़ा दिए गए हैं। जूनियर छात्रों को अधिकारियों के नम्बर दिए गए हैं। ताकि परेशानी होने पर शिकायत कर सकें।
सवाल : रैगिंग के आरोपियों पर ठोस कार्रवाई क्यों नहीं करते?
जवाब : ऐसा नहीं है। शिकायत के बाद नियमानुसार छात्रों पर कार्रवाई की जा रही है।
सवाल : रैगिंग रोकने के लिए बनी कमेटियां क्या कर रही हैं?
जवाब : कमेटियां अपना काम कर रही हैं। असर भी सामने है। गुजरे वर्षों की तुलना में घटनाओं में कमी आई है।
सवाल : पीड़ितों को सीनियर के प्रभाव से बचाने के लिए क्या उपाए किए?
जवाब : सभी सीनियर को रैगिंग के दुष्प्रभाव व उसकी कार्रवाई से अवगत कराया जा चुका है। कार्रवाई के डर से रैगिंग करने से बचें। आरोपित सीनियर के माता-पिता से शपथ-पत्र भी लिया जा रहा है। ताकि भविष्य में इस तरह की घटना न करें।
केजीएमयू के मेडिकल छात्रों में दहशत
केस एक : नवम्बर 2018 सीनियर छात्रों ने वॉट्सएप पर जूनियर एमबीबीएस छात्रों की रैगिंग ली। पीड़ित छात्रों ने प्रताड़ना की शिकायत दिल्ली स्थित यूजीसी में की। वहां रैगिंग की घटना को गंभीरता से लिया गया। यूजीसी ने केजीएमयू को पत्र भेजकर मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। मोबाइल पर आवाज की रिकार्डिंग की मिलान कर कार्रवाई की गई। 2017 बैच के आधा दर्जन छात्रों को हॉस्टल से निकाल दिया। छात्रों पर जुर्माना भी लगाया।
केस दो : दिसम्बर में दंत संकाय के छात्रों ने रैगिंग की शिकायत की थी। यूजीसी में शिकायत के बाद मामले की जांच हुई। जांच में मामले को रफा-दफा कर दिया गया था।
केस तीन : केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग में चार जूनियर रेजीडेंट को सीनियर डॉक्टर लगातार परेशान कर रहे थे। उत्पीड़न के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों ने चार दिसम्बर को चीफ प्रॉक्टर डॉ. आरएएस कुशवाहा से लिखित शिकायत की थी। 12 दिसम्बर को चीफ प्रॉक्टर ने कमेटी बनाकर जांच कराई थी। डॉक्टरों से बयान लिए।
रात में मोबाइल ऑन करने में डर रहे
जूनियर छात्र सीनियर के खौफ से सहमे हैं। रात में फोन तक ऑन करने में घबरा रहे हैं। अकेले हॉस्टल से बाहर निकलने में भी जूनियरों का पसीना छूट रहा है। प्रशासन रैगिंग की घटनाओं को रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। लगातार जूनियर छात्रों को सीनियर परेशान कर रहे हैं। उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। जांच के नाम पर आरोपियों को निष्कासन व अर्थदंड के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इससे सीनियर छात्रों के हौसले बुलंद हैं।
केजीएमयू में एमबीबीएस की 250 सीटों पर प्रवेश होते हैं। रैगिंग रोकने के लिए प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को अलग-अलग से हॉस्टल में रखा जाता है। वहीं सीनियर छात्रों के आने-जाने पर पाबंदी रहती है। सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में छात्र हॉस्टल से क्लास तक जाते हैं। कई स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के दावों के बावजूद रैगिंग पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
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