पार्थ मामले में पुष्पेन्द्र और शैलजा पर मुकदमा

सोशल मीडिया सेल में तैनात सीनियर पुष्पेन्द्र और शैलजा पर मुकदमा दोनों पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 23 May 2021 03:05 AM
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सोशल मीडिया सेल में तैनात सीनियर पुष्पेन्द्र और शैलजा पर मुकदमा

दोनों पर पार्थ को आत्महत्या के लिये उकसाने का आरोप

पार्थ के पिता ने इंदिरानगर थाने में करायी एफआईआर

दोनों आरोपियों को मीडिया सेल से हटाया गया

सुसाइड नोट में लगाये थे कई आरोप

लखनऊ। प्रमुख संवाददाता

निजी कम्पनी बेसिल की ओर से सरकार के सोशल मीडिया सेल में तैनात पार्थ श्रीवास्तव के खुदकुशी के मामले में शनिवार को उसके सीनियर पुष्पेन्द्र और महिला कर्मचारी शैलजा के खिलाफ इंदिरानगर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई। यह एफआईआर पार्थ के पिता रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव की तहरीर पर दर्ज की गई है। इसमें पुष्पेन्द्र और शैलजा को आत्महत्या के लिये उकसाने का आरोप लगाया गया है। पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर का कहना है कि परिवार और पार्थ के लिखे सुसाइड नोट में लगाये गये आरोपों के आधार पर जांच की जायेगी। दोषियों के खिलाफ साक्ष्य मिलने पर सख्त कार्रवाई होगी। उधर, दोनों आरोपियों को सोशल मीडिया सेल से शुक्रवार को हटा दिया गया है।

इंदिरानगर स्थित वैशाली इन्क्लेव में रहने वाले पार्थ (28) ने बुधवार को अपने कमरे में फांसी लगा ली थी। उसके कमरे से दो पन्ने का सुसाइड नोट मिला था। जिसमें उसने अपने सीनियर पुष्पेन्द्र व महिला कर्मचारी शैलजा पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। पुलिस को अस्पताल प्रशासन और परिवारीजन ने सूचना दी थी, लेकिन कोई आरोप नहीं लगाया था। दूसरे दिन बहन शिवानी ने पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। बहन ने कहा था कि पुलिस को सारे साक्ष्य दिये गये हैं पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं इंदिरानगर पुलिस यह कहती रही कि अभी तक उसे कोई तहरीर नहीं दी गई है।

शनिवार को पिता पहुंचे थाने

इंदिरानगर इंस्पेक्टर अजय प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि शनिवार को पार्थ के पिता रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने रिश्तेदारों के साथ थाने आकर तहरीर दी। तहरीर में सुसाइड नोट के आधार पर ही पुष्पेन्द्र और शैलजा पर आरोप लगाये गये हैं। इन दोनों के खिलाफ आत्महत्या के लिये उकसाने की धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों के बयान लिये जायेंगे। पार्थ के पिता ने तहरीर में लिखा है कि बुधवार को वह बेटे के कमरे में गये तो उसका शव चादर से लटका मिला था। वह उसे लोहिया अस्पताल ले गये जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने डायल-112 पर सूचना दी थी। पुलिस ने उनके घर का निरीक्षण किया था। बेटे के तकिया के नीचे से सुसाइड नोट मिला था। दो पन्ने हिन्दी में और एक पन्ना इंग्लिश में लिखा था। इसमें उसने अपने सीनियर पुष्पेन्न्द्र और सहयोगी शैलजा पर कई आरोप लगाये हैं। वह दिनों से इन सीनियर के द्वारा परेशान करने को लेकर तनाव में था। पिता रवीन्द्र नाथ ने लिखा है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये। उन्हें शासन व प्रशासन के ऊपर पूरा विश्वास है।

पार्थ ने सुसाइड नोट में ये आरोप लगाये हैं

पार्थ ने खुदकुशी करने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था जो सोशल मीडिया पर वायल हुआ था। उसने अपने टि्वटर हैंडल पर इसके मैसेज भी वायरल किये थे, जिसमें उसने अपने सीनियर पर कई आरोप लगाये थे। एक निजी एजेन्सी बेसिल के जरिये उसकी संविदा पर इस मीडिया सेल में नियुक्ति हुई थी। पार्थ ने सुसाइड नोट में लिखा था कि सीनियर पुष्पेन्द्र ने उसे बुधवार रात 12:40 पर व्हाट्सएप कॉल की। क्योंकि यह कॉल रिकार्ड नहीं होती है। व्हाट्सएप कॉल के जरिये उन्होंने कहा कि वह उसके शुभचिन्तक हैं। सबकुछ संतोष कर रहा है। पर, सच यह है कि पुष्पेन्द्र सिर्फ एक महिला कर्मचारी के शुभचिंतक है। उनके अलावा वह किसी की चिंता नहीं करते हैं। अन्य कर्मियों को छोटी सी गलती पर बेइज्जत करते रहते हैं। अभय भैया व महेन्द्र भैया उनका गुणगान करते रहे हैं। सुसाइड नोट में पार्थ ने प्रणव नाम के सहयोगी का भी जिक्र किया है। प्रणव के लिये लिखा है कि वह सब कुछ जानते हुए भी पता नहीं क्यों पुष्पेन्द्र का साथ देते हैं। जबकि वह प्रणव को काफी इज्जत देता रहा क्यों कि उन्होंने सिखाया कि सिर्फ काम बोलता है। वहीं पुष्पेन्द्र हमेशा दूसरों की कमियां ही निकालते रहे। शैलजा चापलूसी करके अपनी जगह पर बनी थी। उसकी गलतियां नजरअंदाज की जाती रही। पार्थ ने लिखा कि शैलजा को बधाई। मेरी खुदकुशी एक कत्ल है जिसकी जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ राजनीति करने पुष्पेन्द्र व शैलजा ही हैं। अभय व महेन्द्र भैया को यह एकदम नहीं पता है कि लखनऊ वाले कार्यालय में क्या-क्या हो रहा है। पार्थ ने सूचना विभाग के एक बड़े अधिकारी का नाम लेते हुए लिखा है कि उनसे उम्मीद है कि वह इस मामले में कार्रवाई जरूर करेंगे।

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बहन ने फिर सवाल किया-टि्वट किसने और क्यों डिलीट किये

पार्थ की बहन शिवानी श्रीवास्तव ने फिर सवाल उठाया कि इतना सब कुछ हो गया, लेकिन अभी तक जांच के नाम पर कुछ किया नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस टीम में जरूर कोई बड़ी गड़बड़ है, जिसकी वजह से उनके भाई को यह कदम उठाना पड़ा। पार्थ घर पर भी कई बार वहां की बात करते हुए गुस्सा जाता था। वह लगातार तनाव में रह रहा था पर ज्यादा बताया कुछ नहीं। उसने पुष्पेन्द्र का नाम लिया था, लेकिन वह लोग यह कभी नहीं सोच सके कि पार्थ इतना परेशान है कि वह इस तरह का कदम उठा लेगा। शिवानी ने कहा कि जांच होनी चाहिये कि पार्थ की मौत के बाद किसने उसके मोबाइल से टिवट डिलीट किये। जबकि मोबाइल पुलिस के पास था।

टिवट डिलीट करने की जांच की मांग

पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर व उनकी पत्नी सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने पार्थ द्वारा किये गये अंतिम टिवट की जांच करने की मांग की है। उन्होंने पुलिस कमिश्नर को फिर पत्र लिखकर कहा है कि पार्थ के टिवटर हैंडल से सूचना निदेशक को टैग करते हुए पोस्ट किये गये। पार्थ के ये अंतिम टिवट उसकी मौत के बाद के रहस्यमय तरीके से डिलीट कर दिये गये। यह अत्यन्त गम्भीर मामला है। इससे साफ लगता है कि यह एक बड़ी साजिश की गई है। लिहाजा इस बात की जांच भी होनी चाहिये। इसके लिये चाहे पिता द्वारा दर्ज कराये गये मुकदमे की विवेचना में इस बिन्दु को शामिल किया जाये अथवा एक नया मुकदमा दर्ज कर टिवट डिलीट करने की जांच हो ताकि दोषी को उसके कृत्य की सजा दिलायी जा सके। वहीं कई अन्य संगठनों ने भी इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है।

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