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पे 3: ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी में व्यापारी गिरफ्तार

54 सिलेंडर पुलिस ने किए बरामद, 13 भरे हुए जबकि 19 खाली मिले 20

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 24 April 2021 07:50 PM
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54 सिलेंडर पुलिस ने किए बरामद, 13 भरे हुए जबकि 19 खाली मिले

20 हजार में होती थी बिक्री, रिफलिंग सेंटर से हर रोज लेता था 100 सिलेंडर

लखनऊ। निज संवाददाता

महामारी के समय दवा और जीवनरक्षक सामानों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में कृष्णानगर पुलिस ने मारुति मेडिकल्स संचालक को गिरफ्तार किया है। उसके पास से 54 ऑक्सीजन सिलेंडर बरामद हुए हैं। आरोपी अस्पतालों के साथ ही जरूरतमंद लोगों को महंगे दाम पर सिलेंडर बेच रहा था।

एसीपी कृष्णानगर स्वतंत्र सिंह के मुताबिक पकरी पुल के पास मारुति मेडिकल्स की दुकान है, जिसका संचालन कौशल कटियार करता है। सूचना मिली थी कि कौशल कटियार ने आक्सीजन सिलेंडरों का स्टाक जमा कर रखा है और से मनचाहे दाम पर बेच रहा है। शनिवार को मारुति मेडिकल्स पर छापा मारा गया। जांच के दौरान 54 ऑक्सीजन गैस सिलेंडर बरामद किए गए, जिनमें 13 भरे हुए, 19 खाली सिलेंडर और 18 छोटे सिलेंडर मिले। पूछताछ में कौशल ने बताया कि उसके पास गैस एजेंसी का लाइसेंस था, जो वर्ष 2019 में खत्म हो गया था। इसके बाद भी वह ऑक्सीजन फीलिंग सेंटर से सांठ-गांठ कर सिलेंडर भरवाता था।

बिना लाइसेंस मिलती रही सप्लाई

कौशल के मुताबिक सरोजनीनगर दरोगाखेड़ा स्थित परहेटा ऑक्सीजन फीलिंग सेंटर से प्रतिदिन 100 सिलेंडर मिलते थे, जिन्हें वह विराटनगर स्थित गोदाम में जमा करता था। उसने बताया कि ऑक्सीजन फीलिंग सेंटर में सिलेंडर भरवाते वक्त लाइसेंस की जानकारी देनी होती है। मगर, परहेटा फीलिंग सेंटर में कभी उससे यह जानकारी नहीं मांगी गई। जिसका फायदा उठाते हुए वह सिलेंडर भरवा कर अस्पतालों को सप्लाई करता था। कौशल के मुताबिक करीब 15 दिन से शहर में आक्सीजन की किल्लत होने पर उसने अस्पतालों को सप्लाई देना बंद कर दिया था। मौजूदा वक्त में वह तीमारदारों को 15 से 20 हजार रुपये में सिलेंडर दे रहा था।

जीएसटी चोरी का भी आरोप

इंस्पेक्टर कृष्णानगर महेश दुबे के मुताबिक कौशल कटियार काफी शातिर है। गैस एजेंसी का लाइसेंस समाप्त होने की जानकारी उसने किसी को नहीं दी थी। वह लगातार अस्पतालों को आक्सीजन सप्लाई करता रहा। इतना ही नहीं आरोपी ने जीएसटी से बचने का रास्ता भी तलाश लिया था। वह मारुति मेडिकल्स की जगह महारुद्रा इंटरप्राइजेज के नाम से बिल काटता था जिस पर फर्जी जीएसटी नम्बर पड़ा हुआ है। इस तरह वह राजस्व की चोरी में भी शामिल था।

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