केजीएमयू में गरीब मरीजों का इलाज दवाओं के अभाव में अटका
लखनऊ में केजीएमयू में मरीजों को कैंसर, एंटीबायोटिक और अन्य जीवनरक्षक दवाएं नहीं मिल रही हैं। दवा की कमी के कारण इलाज अटक रहा है और मरीज विभागों में भटक रहे हैं। सरकारी योजनाएं मौजूद हैं, लेकिन दवा...
-20 से 25 दिन बाद भी नहीं आ रही है मरीजों की दवा -कैंसर, एंटीबायोटिक समेत दूसरी जीवनरक्षक दवाएं नहीं मिल रही मरीजों को
लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता
केजीएमयू में डॉक्टर-कर्मचारी ही नहीं बल्कि कैंसर मरीज तक को समय पर दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। दवा न मिलने से मरीजों का इलाज अटक रहा है। इससे मर्ज बढ़ने की आशंका बढ़ गई है। मरीज दवा के लिए विभागों में भटक रहे हैं। उनकी कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है।
केजीएमयू में गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने के लिए सरकार की कई योजनाएं संचालित हो रही है। जिसमें असाध्य, आयुष्मान, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री राहत कोष, कैंसर केयर कार्ड, पंडित दीन दयाल उपाध्याय कैशलेश समेत अन्य योजनाएं हैं। केजीएमयू प्रशासन डॉक्टर की सलाह पर मरीजों को फ्री दवाएं मुहैया कराता है।
डॉक्टरों का कहना है कि जो दवाएं हॉस्पिटल रिवॉल्विंड फंड (एचआरएफ) के स्टोर में होती हैं उन्हें ली जाती हैं। बाकी दवा लोकल परचेज से क्रय कर मरीजों को मुहैया कराई जा रही है। अफसर की हीलाहवाली से दवा खरीद की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पा रही है। नतीजतन मरीजों को समय पर दवा मिलने में खासी दिक्कत हो रही है। कैंसर, डायबिटीज, लिवर हड्डी, सर्जरी, न्यूरो समेत दूसरी गंभीर बीमारियों से पीड़ित गरीब मरीज बेहाल हैं। उन्हें कहीं से भी राहत नहीं मिल पा रही है। विभागों में दवाओं के लिए भटक रहे हैं।
हफ्तों से पड़े हैं दवा के लिए
कई मरीज दवा की खातिर हफ्तों से केजीएमयू में पड़े हैं। दवा के अभाव में इन मरीजों का इलाज प्रभावित है। डॉक्टर मरीजों को भर्ती करने से कतरा रहे हैं। क्योंकि भर्ती के बाद दवाएं नहीं हैं। तो इलाज कैसे करेंगे? लिहाजा उनके बेवजह खर्चों से बचाने के लिए भर्ती करने से बच रहे हैं। दूसरे प्रदेशों से आने वालों को सबसे ज्यादा दिक्कतें झेलनी पड़ रही है।
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