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पेज-5-वेंटिलेटर न मिलने से मरीज की मौत

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Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊThu, 22 April 2021 07:50 PM
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-आबाकारी अधिकारी की वेंटिलेटर न मिलने से मौत

-तीमारदारों का कोविड कंट्रोल रूम के बाहर हंगामा

लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता

कोरोना मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है। गंभीर मरीज समुचित इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं। गुरुवार को वेंटिलेटर के अभाव में दो कोरोना मरीजों की सांसें थम गईं। अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि ऑक्सीजन की किल्लत भी मरीजों की मौत की बड़ी वजह है। सीएमओ का रेफरेंस पत्र न मिलने पर मरीज के तीमारदारों ने कोविड कंट्रोल रूम पहुंचकर हंगामा किया। एम्बुलेंस से मरीज गंभीर अवस्था में लेटा रहा। रोते-बिलखते तीमारदार ने पत्र की गुहार लगाई। संवेदनहीन अफसर बाहर तक नहीं आए।

आबकारी विभाग में एसिस्टेंट कमिश्नर जितेंद्र पाल कोरोना की चपेट में थे। वह लखनऊ टास्क फोर्स में तैनात थे। जानकीपुरम के निजी अस्पताल में जितेंद्र पाल का इलाज चल रहा था। बीती रात अचानक उनके शरीर का ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगा। अस्पताल में ऑक्सीजन का संकट था। डॉक्टरों ने तुरंत वेंटिलेटर की जरूरत बताई। वेंटिलेटर के अभाव में मरीज की मौत हो गई। इसी तरह वृन्दावन योजना कॉलोनी निवासी विनय मलहन (52) को अस्पताल में जगह नहीं मिली। परिवारीजन लगातार सीएमओ कंट्रोल रूम में फोन कर फरियाद करते रहे। कंट्रोल रूम के कर्मचारियों ने जल्द ही एम्बुलेंस भेजने की बात कही। पांच घंटे बाद भी मरीज की भर्ती के लिए सीएमओ कार्यालय का रेफरेंस पत्र तक जारी नहीं हुआ। शाम करीब 3.30 बजे मरीज की सांसें थम गईं। परिवारीजनों का आरोप है कि मरीज को समय पर भर्ती नहीं किया गया। ऑक्सीजन और वेंटिलेटर समय पर न मिलने से मरीज की मौत हुई है।

भर्ती की प्रक्रिया बदहाल

कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गंभीर मरीजों को अस्पताल मुहैया कराने में अफसर पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं। मरीजों को सीएमओ दफ्तर से रेफरेंस पत्र हासिल करने में पसीना छूट रहा है। दो दिन बाद भी मरीजों को सीएमओ का पत्र नहीं मिल रहा है। ऐसे में गंभीर मरीजों की हालत बिगड़ रही है। बदहाल व्यवस्था को सुधारने की दशा में अधिकारियों ने अभी तक कोई प्रयास नहीं किया है।

कोविड कंट्रोल रूम के बाहर हंगामा

मरीज को भर्ती कराने के लिए सीएमओ कर रेफरेंस पत्र दो दिन बाद भी नहीं मिला। नाराज तीमारदार गंभीर अवस्था में मरीज को एम्बुलेंस से लेकर लालबाग स्थित कंट्रोल रूम पहुंचे। परिवारीजन रोते-बिलखते रहे। तीमारदारों ने करीब दो घंटे हंगामा किया। संवेदनहीन अफसरों की कान पर जूं तक नहीं रेंगा। निराश परिवारीजन मरीज को लेकर चले आए।

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