पार्थ इन्फ्रा को 2.89 करोड़ रुपये देने का आयोग ने दिया निर्देश
Lucknow News - राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का निर्णय लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। पार्थ इन्फ्राबिल्ड पर राज्य उपभोक्ता
पार्थ इन्फ्राबिल्ड पर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने भारी जुर्माना लगाया है। आयोग ने बिल्डर को प्रतिदिन एक लाख रुपये के हिसाब से 2.89 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। इसके पूर्व अप्रैल में भी राज्य आयोग ने बिल्डर पर जुर्माना लगाया था। इसके खिलाफ बिल्डर की ओर से राष्ट्रीय आयोग में अपील की गई। राष्ट्रीय आयोग ने राज्य आयोग के निर्णय को सही ठहराते हुए इस मामले का निस्तारण करने का निर्देश दिया। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार और सदस्य विकास सक्सेना की पीठ ने शुक्रवार को वापस इस केस में निर्णय दिया। कहा कि कोर्ट में शिकायतकर्ता ने कार्य की फोटो प्रस्तुत की है तथा जनरेटर सेट लगाने का कार्य चल रहा है। उक्त रंगीन फोटो दिनांक 31 जनवरी को दिन के 11:28 बजे ली गई है। शिकायतकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि इस न्यायालय से 24 अप्रैल 2024 को पारित आदेश का बिल्डर ने अब तक अनुपालन नहीं किया। अभी तक कोई भी बुनियादी कार्य पूरा नहीं हुआ है। ऐसे मे अदालत ने पाया कि बिल्डर न केवल इस कोर्ट बल्कि राष्ट्रीय आयोग से पारित आदेश का भी उल्लंघन कर रहा है। उसकी परियोजना में 600 लोग रह रहे हैं जिनके परिवार भी हैं। उनके लिए बिल्डर समस्या पैदा कर रहा है। आदेश में कहा गया कि मेसर्स पार्थ इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड 27.4.2024 से जमा की तिथि तक यानी 10.2.2025 को या उससे पहले प्रतिदिन 1 लाख रुपये का भुगतान करेगा। यह निर्णय संध्या त्रिपाठी बनाम पार्थ इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के मामले में सुनाया गया। फरियादी का कहना था कि परियोजना में बिजली की बेहद ज्यादा कटौती हो रही है। बिल्डर ने ब्रोशर में वैकल्पिक व्यवस्था से निर्बाध सप्लाई का विश्वास दिलाया था। अब घंटों बिना बिजली आवंटी परेशान हो रहे हैं।
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