वेतन समिति की रिपोर्ट न लागू होने से लाखों कर्मचारी नाराज
Lucknow News - लखनऊ, संवाददाता। प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों व दूसरे विभागों में कार्यरत लाखों आउटसोर्स
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लखनऊ, संवाददाता। प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों व दूसरे विभागों में कार्यरत लाखों आउटसोर्स व संविदा कर्मचारियों ने न्यूनतम वेतन बढ़ाने की सरकार की घोषणा को सराहनीय कदम बताया है। मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए आउटसोर्स कर्मचारी संगठनों ने इसके इतर एक सवाल उठाया है कि दो साल से वेतन समिति की रिपोर्ट शासन स्तर पर अटकी है। वेतन समिति की रिपोर्ट को लागू करने में देरी क्यों की जा रही है। वेतन समिति की रिपोर्ट लागू न होने से लाखों कर्मचारियों में नाराजगी है।
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री सच्चितानंद मिश्रा ने कहा कि पहले भी कई घोषणाएं हुई हैं, लेकिन अब तक उसका शासनादेश तक नहीं आया है। सच्चितानंद ने बताया कि चिकित्सा संस्थानों के कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी के लिए पहले 17 अक्तूबर 2018 को मुख्यमंत्री के निर्देश पर चिकित्सा शिक्षा के विशेष सचिव रहे जयंत नर्लींकर की अध्यक्षता में वेतन समिति बनाई गई। उस समिति की रिपोर्ट शासन गई, लेकिन आज तक उसे लागू नहीं किया जा सका। दोबारा मुख्यमंत्री के निर्देश पर 20 अप्रैल 2023 को चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की अध्यक्षता में कमेटी बनी। नौ जून 2023 को रिपोर्ट शासन को भेजा गया, लेकिन दो साल बीतने को है, लेकिन वेतन बढ़ोतरी का शासनादेश जारी नहीं हुआ। इस वजह से कई साल से कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ सका है।
कमेटी की रिपोर्ट लागू होने से 80 मेडिकल कॉलेज, केजीएमयू, लोहिया, एसजीपीजीआई, कैंसर संस्थान के करीब एक लाख से अधिक कर्मचारियों को इसका लाभ होगा। करीब पांच हजार रुपए तक वेतन बढ़ सकता है। समिति की रिपोर्ट में 73 प्रकार के पदों का वेतन निर्धारण हुआ है। यदि न्यूनतम वेतन में बढ़ोत्तरी करना है तो तत्काल बजट सत्र में ही शासनादेश जारी किया जाना चाहिए।
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