सिरिंज व ब्लेड का निस्तारण होगा आसान
केजीएमयू में बायो मेडिकल वेस्ट पर कान्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने दी जानकारी लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता।
मेडिकल संस्थानों में इस्तेमाल सिरिंज, ब्लेड व दूसरी धातुओं को निस्तारित करना चुनौती है। अब नई तकनीक से इन धातुओं का आसानी से निस्तारण होगा। खास प्रकार की डस्टबिन में धातु डालने पर गल जाएगी। इससे लोगों को संक्रमण से बचाना आसान होगा। यह जानकारी अमेरिका के डॉ. एड क्रिसूनस ने दी। केजीएमयू के कलाम सेंटर में बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट पर कान्फ्रेंस हुई। इसमें बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञ डॉ. क्रिसूनस नई तकनीक की जानकारी दी। डॉ. क्रिसूनस ने कहा कि अस्पताली कचरा संक्रमित होता है। ठीक से कचरे का निस्तारण न होने से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि खास तरह का डस्टबिन में धातु डालने पर वह गल जाएगी।
इंडियन सोसाइटी ऑफ वेस्ट मैनेजमेंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार अग्रवाल ने बताया कि इलाज के दौरान उपयोग में आने वाले विभिन्न उपकरणों में प्लास्टिक का काफी उपयोग हो रहा है। पीवीसी वाली प्लास्टिक में क्लोरीन होता है। जो काफी घातक होता है। इसे आसानी से रिसाइकिल किया जा सकता है। इससे डीजल आयल, प्लास्टिक की सड़क, ईंट आदि बनाए जा सकता है। डॉ. प्रज्ञा पांडेय ने बताया कि अस्पतालों में होने वाले तरल कचरे को सीधे सीवर में नहीं डालना चाहिए। इसके दुष्परिणाम हो सकते हैं। बेहतर है कि ईटीपी के माध्यम से इनको ट्रीट किया जाए। इसके बाद यह पानी उपयोग में लाया जा सकता है। इस मौके पर डॉ. कीर्ति श्रीवास्तव, डॉ. गीत यादव, डॉ. रवि प्रकाश, डॉ. रेखा सचान और डॉ. नितिन मौजूद रहे।
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