आसपास--सब्जियों से धोखा खाए किसान शुरू करेंगे केले की खेती
मण्डियों में सब्जियों का इतना कम दाम मिल रहा था कि किराया-भाड़ा निकलना...
मण्डियों में सब्जियों का इतना कम दाम मिल रहा था कि किराया-भाड़ा निकलना मुश्किल हो गया
प्रमुख संवाददाता
लखनऊ। इटौंजा के पालपुरु गांव के खलील ने बड़ी उम्मीदों से एक एकड़ में कद्दू की फसल बोई थी। अच्छे बीजों का इस्तेमाल किया। बढ़िया सिंचाई की और बीच-बीच में कीटनाशक का छिड़काव भी किया। फसल अच्छी तैयार हुई। पर कोरोना कर्फ्यू लगने से खरीददार न मिले। मण्डियों में इतना कम दाम मिल रहा था कि किराया-भाड़ा निकलना मुश्किल था। उन्होंने पूरी फसल खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ दी। अब तय किया है कि वे सब्जियों की खेती नहीं कर केला उगाएंगे। केलों की बड़ी मांग है और पैसा भी ठीक मिलता है।
सिर्फ खलील ही नहीं इंटौंजा के पालपुर, कुण्डापुर, पहाड़पुर, मानपुर, बक्शी का तालाब के कई गांव, मोहानरोड के आसपास बसे गांव के तमाम किसानों को भी इस बार लोबिया, कद्दू, लौकी, करेला, टमाटर, खीरा, भिण्डी जैसे मौसमी सब्जियों को मण्डियां नसीब नहीं हो पाईं। न ही सही मोल मिला। गांव की बाजारों या सड़क किनारे दुकान लगाकर बेचने पर कोरोना कर्प्यू के कारण पुलिस वालों ने रोक लगा दी। किसानों को मजबूरी में अपनी सब्जियों को खेत में ही सड़ने के लिए छोड़ना पड़ा। सभी अब केले की खेती करेंगे।
केलों की लहलहाती फसलें देख बदला विचार
इटौंजा के महोना से लेकर मानपुर, अकबरपुर से लेकर दौलतपुर और बीबीपुर तक के किसानों काफी पहले केले की फसलें तैयार करना शुरू कर दिया था। यहां केले की पूरी बेल्ट है। ‘लखनऊ का केला ब्राण्ड बनने लगा है। केला किसानों की अच्छी आमदनी हो रही है। पालपुर के शत्रुहन ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में सब्जियों की खेती में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार उससे भी बुरा हाल है। मण्डियों के आढ़तियों से पार पाना मुश्किल है। कब तक नुकसान उठाएंगे। इससे बढ़िया हैकि लाइन बदलो और केले की खेती शुरू करो। केले के अच्छे दाम मिलते हैं। व्यापारी सीधे किसानों से खरीदने पहुंचते हैं।
आर्गेनिक खेती से हुआ भारी नुकसान
सैदपुर के युवा किसान आजाद आर्गेनिक खेती करते हैं। इस बार टमाटर, लोबिया और भिण्डी की फसलों को कोरोना कर्फ्यू के कारण ठीक दाम नहीं मिले। आजाद ने बताया उनका करीब एक लाख रुपये का नुकसान हुआ है। पिछली बार भी खासा नुकसान हुआ था। ऐसे में मजबूरी में सब्जियों को छोड़ केले की खेती करनी पड़ेगी।
सब्जियों के दामों पर पड़ सकता है असर
कृषि विशेषज्ञ सुरेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि राजधानी में मौसमी सब्जियां बक्शी का तालाब, मोहनलालगंज, बाराबंकी, इटौंजा, मोहान रोड के गावों से आती हैं। यहां के किसान सब्जियां मण्डियों तक पहुंचाते हैं। मौसमी सब्जियां सस्ती मिलती हैं। पर सब्जियों की खेती में नुकसान देख रहे किसानों के केले की खेती करने से बाजार पर असर पड़ सकता है। दूर-दराज से सब्जियां सब राजधानी पहुंचेंगी तो उनके दाम कुछ ज्यादा जरूर होंगे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।