Hindi NewsUttar-pradesh NewsLucknow NewsNationwide Protests Against Privatization of Electricity in UP and Chandigarh on December 6

किसानों व उपभोक्ताओं को लेकर लखनऊ में रैली करेंगे बिजलीकर्मी

Lucknow News - उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में बिजली कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ छह दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजली पंचायत के माध्यम से लोगों को निजीकरण...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊSun, 1 Dec 2024 07:16 PM
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फ्लैग-- यूपी व चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के विरोध में छह दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन

क्रासर--

-सभी जिलों में बिजली पंचायत कर लोगों को जगाएगी संघर्ष समिति

लखनऊ, विशेष संवाददाता

यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण का पुरजोर विरोध करने का खाका विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने खींच लिया है। निजीकरण के विरोध में सभी जनपदों व परियोजनाओं पर ‘बिजली पंचायत कर व्यापक जन जागरण अभियान चलेगा। जिसमें लोगों को निजीकरण से नुकसान की जानकारी दी जाएगी। इसके बाद 22 दिसंबर को लखनऊ में उपभोक्ताओं, किसानों व बिजली कर्मियों की विशाल रैली (बिजली पंचायत) की जाएगी।

इससे पूर्व छह दिसंबर को उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का कार्यक्रम तय किया गया है। रविवार को संघर्ष समिति की बैठक के बाद प्रमुख पदाधिकारी राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय आदि ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन द्वारा दिए जा रहे बयानों को झूठ का पुलिंदा कहा। वार्ता के दौरान ही कर्मचारी संगठनों ने चेयरमैन के सामने निजीकरण के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

सारी विफलता आईएएस प्रबंधन की है

इस बैठक के दौरान सभी संगठनों के अध्यक्ष, महामंत्री और अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ने एक साथ खड़े होकर शपथ ली कि प्रदेश में किसी भी प्रकार से बिजली का निजीकरण स्वीकार नहीं किया जाएगा। संघर्ष समिति ने कहा है कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन की यह बात मान लें कि निजीकरण के बाद कर्मचारी हटाए नहीं जाएंगे तो सवाल यह है कि इन्हीं कर्मचारियों के रहते सुधार हो सकता है तो निजीकरण की क्या जरूरत है? सारी विफलता प्रबंधन की है। आईएएस प्रबंधन की जगह विशेषज्ञ अभियंताओं को प्रबंधन दिया जाए तो एक साल में ही गुणात्मक सुधार की जिम्मेदारी लेने को संघर्ष समिति तैयार है।

विभागीय अभियंताओं को दिया जाए प्रबंधन

समिति ने कहा कि यदि सभी कंपनियों का चेयरमैन मुख्य सचिव को बनाने का निर्णय है तो प्रबंध निदेशक निजी कंपनी का बनाने की जगह विभागीय अभियंताओं को बनाकर सुधार किया जाए। समिति ने कहा है कि कर्मचारी किसी भ्रम में नहीं है, जब 51 फीसदी भागीदारी निजी कंपनी की है तो यह संपूर्ण निजीकरण है। जो पूरी तरह अस्वीकार है।

आरोप, उत्पीड़न का भय दिखा रहा है प्रबंधन

संघर्ष समिति ने कहा है कि प्रबंधन बर्खास्तगी और उत्पीड़न का भय पैदाकर, निजीकरण थोपना चाहता है। शीर्ष प्रबंधन ने शनिवार को प्रयागराज में कहा कि सबसे लिखित ले लो कि वे निजीकरण के पक्ष में हैं। जो कर्मचारी लिखकर नहीं देंगे उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा। प्रबंधन की इस तानाशाही रवैये से बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।

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