भारतीय सभ्यता का भाव विविधता में एकता का सिद्धांत: डॉ. कृष्ण गोपाल
Lucknow News - लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिशास्त्र विभाग ने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के सहयोग से 'राज्य, समाज और राष्ट्र के बीच अर्न्तसंबंध' विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। मुख्य...

- एलयू के राजनीतिशास्त्र विभाग की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ लखनऊ, संवाददाता।
लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीतिशास्त्र विभाग की ओर से भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के तत्वाधान में राज्य, समाज और राष्ट्र के बीच अर्न्तसंबंधः भारतीय परिपेक्ष्य पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मालवीय सभागार में आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने किया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी दार्शनिक परंपराएं विशिष्टता को प्राथमिकता देती हैं। भारतीय सभ्यता का भाव विविधता में एकता के सिद्धांत को प्रतिपादित करता है। भारत पांच हजार साल के इतिहास वाली सभ्यता के रूप में साझा आंतरिक मूल्यों और नैतिक ढांचों के माध्यम से एकता बनाए रखते हुए धर्म, जाति, संस्कृति और भाषा में जबरदस्त विविधता को अपनाता है। डॉ. कृष्ण गोपाल ने कई पश्चिमी दार्शनिकों का संदर्भ दिया, जिनके विचारों ने बहिष्कार प्रथाओं में योगदान दिया है। जबकि भारतीय शास्त्रों और पवित्र ग्रंथों के साथ समानताएं खींची गई हैं जो विविधता में एकता के सिद्धांत पर जोर देते हैं।
संगोष्ठी के संयोजक डॉ. जितेंद्र कुमार ने बताया कि वर्तमान सामाजिक राजनीतिक संदर्भ में विद्वानों के विमर्श के लिए इस विशेष विषय को चुना गया। राष्ट्रीय पहचान और सामाजिक एकीकरण पर समकालीन बहसों के लिए इसकी प्रासंगिकता पर बल दिया। प्रति कुलपति प्रो. मनुका खन्ना, विभागाध्यक्ष प्रो. संजय गुप्ता, प्रो. कमल कुमार, प्रो. रचना श्रीवास्तव, डॉ. रमेश त्रिपाठी, योगेश तिवारी, मनोज जी, प्रो. सारिका दुबे, सुरेंद्र मणि त्रिपाठी व बड़ी संख्या में शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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