Hindi NewsUttar-pradesh NewsLucknow NewsNational Seminar on Preservation of Indian Languages Held at Ambedkar University

भाषा संस्कृति और सभ्यता के सरंक्षण के लिए आवश्यक

Lucknow News - लखनऊ में अम्बेडकर विश्वविद्यालय में भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने हिंदी भाषा की महत्वपूर्णता और मातृभाषाओं के पुनर्जागरण की आवश्यकता पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊWed, 11 Dec 2024 06:23 PM
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लखनऊ, कार्यालय संवाददाता अम्बेडकर विश्वविद्यालय में बुधवार को भारतीय भाषाओं का संरक्षण एवं संवर्धन : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। भारतीय भाषा उत्सव के अंतर्गत हिन्दी विभाग की ओर से हुई संगोष्ठी में वक्ताओं ने भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।  

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. द्विवेदी ने कहा कि आज के समय में हिन्दी भाषा के समायोजन की आवश्यकता है। क्योंकि भाषा संस्कृति और सभ्यता के संरक्षण, आम जनमानस के भाव एवं विचारों के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त उन्होंने समाज में विभिन्न साहित्यकारों के योगदानों पर प्रकाश डाला। पीएसी लखनऊ की अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. अर्चना सिंह ने कहा कि भाषा संवाद के लिये आवश्यक है। हमें अपनी मातृभाषा एवं क्षेत्रीय भाषाओं के पुनर्जागरण के लिए हरसंभव प्रयास करने चाहिए क्योंकि किसी भी भाषा के लुप्त होने पर भाषा के साथ - साथ वर्षों की‌ परंपरा, संस्कृति, रीति रिवाज एवं उस भाषा से संबंधित ज्ञान भी लुप्त हो जाता है। लखनऊ विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के डॉ. सत्यकेतु ने कहा कि भारतीय भाषाओं ने प्राचीन काल से ही आपस में समन्वय स्थापित किया हुआ है, यही कारण है कि भाषायी एकता के आधार पर भारत के अस्तित्व को स्वीकार करना चाहिए। डॉ. विपिन झा ने बताया कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं का केंद्र बिंदु हैं। इसके अतिरिक्त वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने के लिए मातृभाषा के अतिरिक्त अन्य भाषा का ज्ञान भी जरूरी है। इसीलिए संस्कृत भाषा अपनी संस्कृति के संरक्षण के लिए, हिन्दी एवं अन्य मातृभाषा ज्ञानार्जन के लिए एवं आंग्ल भाषा वैश्विक स्तर पर अपनी बात रखने के लिए आवश्यक है। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रामपाल गंगवार की अध्यक्षता में विभिन्न प्रतिभागियों द्वारा शोध-पत्र प्रस्तुत किये गये। समापन सत्र की अध्यक्षता अमेठी केंद्र में अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बी. पात्रा ने की। डॉ. पात्रा ने कहा कि कोई भी राष्ट्र तभी उन्नति कर सकता है जब वह वैश्विक दौर की भाषा के साथ-साथ अपनी मातृभाषा का सम्मान करें।

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