मिशन शक्ति: वंदना ने मछली पालन में आजमाया हाथ
वंदना ने करीब 17 महीने पहले राखी स्वयं सहायता समूह गठित कर गांव की महिलाओं को जोड़ा। इसके बाद उन्होंने तहसील से गांव में स्थित तालाब का पट्टा हासिल किया। करीब छह महिलाएं इस मछली पालन में उनके साथ लगी...
वंदना ने करीब 17 महीने पहले राखी स्वयं सहायता समूह गठित कर गांव की महिलाओं को जोड़ा। इसके बाद उन्होंने तहसील से गांव में स्थित तालाब का पट्टा हासिल किया। करीब छह महिलाएं इस मछली पालन में उनके साथ लगी हैं। राखी बताती हैं कि अन्य महिलाएं खेती व अन्य काम भी करती हैं। उन्होंने कहा कि तालाब का पट्टा लेने के बाद बदलाव की उम्मीद नजर आने लगी है। हाल ही में मछली के बच्चे डाले गए हैं, मछली बिक्री से फायदा होगा।
वहीं मां गायत्री स्वयं सहायता समूह का संचालन करने वाली जयदेवी रामनगर के दिवली गांव में महिलाओं की प्रेरणा स्रोत बनी हैं। उन्होंने चप्पल बनाने का कारोबार शुरू किया। इसके बाद समूह ने ब्लाक में कैंटीन संचालन का ठेका लिया। इतना ही नहीं दोना-पत्तल बनाने का कारोबार करने के साथ ही उनकी भाभी ने समूह से मिले धन से ही कास्मेटिक की दुकान खोली है। जयदेवी महिलाओं को रोजगार देने के लिए प्रेरित करती हैं और अब तक उन्होंने एक दर्जन से अधिक समूह गठित कराए हैं।
वहीं मुजफ्फरमऊ की शशिमाला ने घर के बढ़ते खर्चे को देखते कुछ करने की ठानी। माती के ग्रामीण परिवेश में रहने वाली शशिमाला को रूरल सेल्फ इम्प्लायमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (आरसेटी) की जानकारी मिली। डेढ़ वर्ष पहले उन्होंने वहां ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग ली और गांव में समूह का गठन कर ब्यूटी पार्लर डाला। इसके बाद सिलाई की ट्रेनिंग हासिल की, आर्टीफिशियल ज्वेलरी की ट्रेनिंग हासिल की। शशिमाला 30-35 हजार रुपए प्रतिमाह कमाती हैं।
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