वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था को हर साल 170873 करोड़ रुपये निवेश की और जरूरत
माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के सम्मेलन में जारी की गई अध्ययन रिपोर्ट Ø माइक्रो
माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के सम्मेलन में जारी की गई अध्ययन रिपोर्ट Ø माइक्रो फाइनैन्स महिलाओं के रोजगार मे सहायक बनकर उन्हे स्वावलंबी बना रहा है – असीम अरुण
Ø वित्तीय विशेषज्ञों ने एक सतत एवं विश्वसनीय माइक्रो फाइनेंस मॉडल विकसित करने का लिया संकल्प
लखनऊ। विशेष संवाददाता। Øउत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए राज्य को हर साल पांच लाख करोड़ रुपये की निवेश की जरूरत होगी। अभी 3,29,127 करोड़ रुपये का निवेश होता है। ऐसे में हर साल 170873 करोड़ रुपये के निवेश की और जरूरत होगी। यही नहीं सरकार को इन पांच लाख करोड़ के निवेश में सबसे 12.6 प्रतिशत बजटीय प्रावधान जल जंगल, जमीन, जल वायु क्षेत्र में करना होगा।
यह तथ्य सोमवार को जारी अध्ययन रिपोर्ट में दिए गए हैं। माइक्रो फाइनैन्स एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा ) द्वारा सम्मेलन में बैंकिंग व वित्त विशेषज्ञों ने इस लक्ष्य को पाने के लिए कई तरह के सुझाव दिए। रिपोर्ट में कहा गया कि स्वास्थ्य, शिक्षा, व कौशल विकास, पर्यावरण संरक्षण युक्त खनन व वैकल्पिक ऊर्जा, आवासीय व इंफ्रास्ट्रक्चर , महिला स्वयंसहायता समूह, किसान समूह, युवा सहकारी उद्यमिता, भूमिहीनों को पेंशन, किसानों को ऋण उपलब्धता- इन सभी सेक्टर में 6.3 प्रतिशत का बजटीय प्रावधान होना चाहिए। क्षेत्रीय विषमता दूर करने के लिए पूर्वांचल व बुंदेलखंड में सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
मुख्य अतिथि के तौर पर समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं द्वारा अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु दिए जा रहे सहयोग और उनके योगदान द्वारा महिलाओं के जीवन स्तर मे हो रहे सुधार पर प्रसन्नता जताई। कहा कि माइक्रो फाइनैन्स महिलाओं के रोजगार मे सहायक बनकर उन्हे स्वावलंबी बना रहा है। यह राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है।
इस रिपोर्ट से संबंद्धता जताते हुए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के पूर्व चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा कि अब नई कार्य योजना बनेगी। जो एक खरब डॉलर अर्थ व्यवस्था के लक्ष्य को पूर्ण करने में एक अहम् भूमिका निभायेगी। माइक्रो फाइनेंस के विशेषज्ञ विजय महाजन ने कहा कि माइक्रो फाइनेंस ग्रामीण क्षेत्र मे रोजगार सृजन कर बेरोजगारी की समस्या को दूर करने मे बड़ा सहयोग कर सकता है। उपमा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर सिन्हा ने बताया कि माइक्रोफाइनेंस जिसे माइक्रो क्रेडिट भी कहा जाता है, एक प्रकार की बैंकिंग सेवा है जो कम आय वाले व्यक्तियों या समूहों को प्रदान की जाती है। परिचर्चा मे मुंबई से आए जना बैंक के सलाहकार, प्रख्यात लेखक तमाल बंद्योपाध्याय, क्रेडिट एक्सेस के एमडी उदय कुमार, वीएफएस कैपिटल के एमडी कुलदीप मैती, कैशपोर के एमडी मुकुल जयसवाल, सोनाटा फाइनैन्स के एमडी अनूप सिंह, सत्या माइक्रोकैपिटल के एमडी विवेक तिवारी, तथा पहल फाइनैन्स की एमडी पूर्वी भवसार ने अपने विचार रखे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।