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जम्मू कश्मीर के लोक नृत्य, शिव तांडव स्तोत्रम ने मोहा मन

- लखनऊ विश्वविद्यालय में 104वें स्थापना दिवस सप्ताह का आगाज लखनऊ, संवाददाता।

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊTue, 19 Nov 2024 08:18 PM
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- लखनऊ विश्वविद्यालय में 104वें स्थापना दिवस सप्ताह का आगाज लखनऊ, संवाददाता।

लखनऊ विश्वविद्यालय में 25 नवंबर को आयोजित होने वाले 104वें स्थापना दिवस के तहत स्थापना सप्ताह समारोह का आयोजन हुआ। इसका उद्धाटन मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने किया। उन्होंने विश्वविद्यालय समुदाय के भीतर एकता, गौरव और शैक्षणिक भावना को बढ़ावा देने में ऐसे समारोहों के महत्व पर जोर दिया। इस दौरान छात्रों ने संगीत, नृत्य और नाटक प्रस्तुत कर अपनी प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया।

शांभवी मिश्रा ने जीवंत गणेश वंदना, वरुण त्रिपाठी ने शक्तिशाली शिव तांडव, सर्वज्ञ तिवारी ने घर मेरा परदेसिया पर एकल नृत्य प्रस्तुत किया। हर्षिता, वंशिका, सृष्टि, निहारिका, आकांक्षा, अंशिका, शाव्या और वैष्णवी ने जम्मू-कश्मीर का प्रतिनिधित्व करते हुए एक सुंदर लोक नृत्य प्रस्तुत किया। मुद्रा मिश्रा ने अंग्रेजी एकल गीत, काजल गुप्ता ने रश्मिरथी कविता पाठ किया। एकल गायिका लक्ष्मी त्रिपाठी, मांडवी शुक्ला, शुभी राजपूत और कौमुदी की आवाज ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेज के डिप्लोमा छात्रों ने फार्मासिस्ट इन सोसाइटी नामक नाटक प्रस्तुत किया। इसमें देवराज सिंह, रोशन कुमार, अभिषेक गुप्ता, अनुराग पाल, तुषार मद्धेशिया, विवेक जयसवाल, आकांशा सिंह, पीऊ विश्वास, आयुष मोहन, मोहक और आशीष रावत का नाम शामिल है। ग्रैंड फिनाले में शिव स्तोत्रम नामक एक शक्तिशाली नृत्य सौम्या अग्रहरि, साक्षी यादव, प्रज्ञा सिंह, दीपांशी श्रीवास्तव, मुस्कान सोमवंशी, हर्षिता त्रिपाठी और अमृता ठाकुर ने प्रस्तुत किया। डीएसडबल्यू प्रो. वीके शर्मा, विज्ञान संकाय की डीन प्रो. शीला मिश्रा समेत कई अन्य उपस्थित रहे।

कच्छ क्षेत्र के अवसाद अध्ययन में संभावनाएं

भूविज्ञान विभाग में हिमालय: एशिया का जलस्तंभ पर विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। प्रख्यात भूवैज्ञानिक और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रो. पीटर क्लिफ्ट ने प्राकृतिक और मानवजनित प्रक्रियाओं के बीच प्रतिस्पर्धा: एशियाई समुद्री सीमांतों में होलोसीन अवसाद प्रवाह को नियंत्रित करना पर अपना व्याख्यान दिया। बीएसआईपी निदेशक प्रो. महेश जी. ठक्कर ने कच्छ क्षेत्र में अवसादों को संरक्षित करने में अनुसंधान की कमी को उजागर किया। उन्होंने कहा कि ये क्षेत्र पृथ्वी के पर्यावरणीय इतिहास के महत्वपूर्ण प्रमाण रखते हैं। यहां के अवसाद अध्ययन में भविष्य के शोधकर्ताओं के लिए महान संभावनाएं हैं। अधिष्ठाता शोध प्रो. एमएम वर्मा, विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुवसेन सिंह, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण उत्तरी क्षेत्र के अतिरिक्त महानिदेशक व प्रमुख रजिंदर कुमार समेत कई अन्य उपस्थित रहे।

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