बारिश से लखनऊ बेहाल: घर, अस्पताल और सड़कों पर जमा पानी, कई जगह पेड़ गिरे
राजधानी में मूसलाधार बारिश आफत बनकर लोगों पर कहर बरपा रही है। मुख्य सड़कों पर पानी लग गया है। वहीं कई इलाकों जैसे इंदिरानगर, इस्माइलगंज, डालीगंज, गोमतीनगर, जानकीपुरम, आलमबाग, राजाजीपुरम और पुराने...
राजधानी में मूसलाधार बारिश आफत बनकर लोगों पर कहर बरपा रही है। मुख्य सड़कों पर पानी लग गया है। वहीं कई इलाकों जैसे इंदिरानगर, इस्माइलगंज, डालीगंज, गोमतीनगर, जानकीपुरम, आलमबाग, राजाजीपुरम और पुराने लखनऊ में जलभराव हो गया है। वहीं राजधानी में बारिश से सभी बड़े अस्पतालों के परिसरों में पानी भर जाने से मरीजों का अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल हो गया।
लखनऊ में रविवार से शुरू हुई बारिश सोमवार को कई इलाकों में कहर का सबब बन गई। सोमवार पूरी रात भारी बारिश के चलते लखनऊ में कई जगह जलभराव हो गया। नक्खास से टुडियागंज वाले रास्ते पर लगभग 100 से 120 साल पुराने पेड़ के गिरने से 3 गाड़ियां चकनाचूर हो गई। इस घटना में किसी की जान तो नहीं गई लेकिन भारी नुकसान हुआ। पुरानी गाड़ियों का व्यापार करने वाले व्यापारी के गैराज की तीनों गाड़ियां थी जो हादसे में पूरी तरह ध्वस्त हो गई।। सोमवार देर रात 3:00 बजे पेड़ गिरने की सूचना से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। मंगलवार सुबह क्रेन के सहारे पेड़ को हटाने और गाड़ियों को निकालने का कार्य किया गया। इस घटना से यातायात पूरी तरह प्रभावित रहा।
मरीजों का अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल हो गया
राजधानी में बारिश से सभी बड़े अस्पतालों के परिसरों में पानी भर जाने से मरीजों का अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल हो गया। केजीएमयू में बाराबंकी से दिमागी बुखार से पीड़ित श्यामलाल को ऐसी बरसात में गांधी वार्ड तक पहुंचाने के लिए तीमारदारों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यही हाल सिविल अस्पताल, बलरामपुर ओर लोहिया का हो रहा है।
इमारत को बचाने में बढ़े सैकड़ों हाथ
चौपटिया स्थित कच्चापुल में लगभग 50 साल पुरानी जर्जर इमारत भारी बारिश से चिटक कर आगे की ओर झूलने लगी सकरी गली में बने इस मकान के मकान मालिक और स्थानीय लोगों ने निजी प्रयासों से इस इमारत के ना गिरने की व्यवस्थाएं की। उन्होंने बल्लियां लगाकर इमारत को सहारा दिया। इस दो मंजिला जर्जर इमारत में एक मीट की दुकान और एक गैराज है इमारत की हालत देखते हुए दोनों जगह को खाली कराया गया।
लोगों में दिखा गुस्सा
पुराने लखनऊ की पुरानी गलियों में दर्जनों ऐसी जर्जर इमारतें हैं जो बड़े हादसे को दावत दे रही है। हवा में झूलती इन इमारतों को देख लोगों का मन सिहर उठता है। स्थानीय लोगों से पूछताछ करने पर उन्होंने बताया की 10 सालों में एक भी बार प्रशासन द्वारा एक भी खंडहर और जर्जर पड़ी इमारतों को चिह्नित नहीं किया गया है। प्रशासन द्वारा आगे बढ़कर इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है जिससे कोई भी अप्रिय घटना भविष्य में ना घटे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।