तत्कालीन सीओ रामपुर को वापस दरोगा बनाने का आदेश खारिज
Lucknow News - लखनऊ हाईकोर्ट ने रामपुर में सीओ सिटी रहे विद्या किशोर की याचिका पर उनके खिलाफ पदावनति का आदेश निरस्त कर दिया है। विद्या किशोर पर गैंगरेप मामले में 35 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप था। कोर्ट ने मामले...

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रामपुर में सीओ सिटी के पद पर तैनात रहे विद्या किशोर को राहत देते हुए उनके खिलाफ शासन द्वारा पारित पदावनति के आदेश को निरस्त कर दिया है। गैंगरेप के एक मामले में 35 लाख रुपये रिश्वत लेने के आरोप में 11 अगस्त 2023 को आदेश पारित करते हुए उन्हें उनके मूल सब-इंस्पेक्टर के पद पर पदावनत कर दिया गया था। न्यायालय ने मामले को जांच अधिकारी के पास वापस भेजते हुए आरोप पत्र के आगे की जांच फिर करने का आदेश दिया है। साथ ही उक्त कार्यवाही को चार माह में पूरा भी करने को कहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने विद्या किशोर की याचिका पर पारित किया। याची की ओर से दलील दी गई कि उस पर रामपुर का सीओ सिटी रहने के दौरान आरोप लगा था कि गैंगरेप की एक शिकायत मिलने के बावजूद उसने कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में जिले में नए एसपी की तैनाती के पश्चात उक्त मामले में एफआईआर दर्ज हुई। आरोप है कि एसआईटी ने मामले की जांच की और जांच के दौरान पता चला कि याची ने 35 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। उक्त रिश्वत के लेनदेन की एक वीडियो क्लिप भी सामने आई। दलील दी गई कि याची को उक्त वीडियो क्लिप के आधार पर दंडित किया गया, जबकि आरोप पत्र के साथ उसे कथित वीडियो क्लिप की सीडी नहीं उपलब्ध कराई गई। यह भी कहा गया कि 11 अगस्त 2023 को दंडादेश पारित करने से काफी पहले 11 नवंबर 2022 को ही सरकार के ट्विटर हैंडल पर दंड की बात कही गई। इस पर न्यायालय ने कहा कि मात्र ट्विटर पर पूर्व से दंड की जानकारी देने मात्र से दंडादेश को निरस्त नहीं किया जा सकता लेकिन याची को कथित वीडियो की सीडी न देना त्रुटि थी।
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