लखनऊ : ट्रॉमा सेंटर के बाहर सड़क पर मरीज को रखकर प्रदर्शन
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में इलाज की गाड़ी पटरी से उतर गई है। समुचित इलाज व बेड न मिलने पर भड़के तीमारदारों ने शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे ट्रॉमा सेंटर के बाहर सड़क पर स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को लाकर...
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में इलाज की गाड़ी पटरी से उतर गई है। समुचित इलाज व बेड न मिलने पर भड़के तीमारदारों ने शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे ट्रॉमा सेंटर के बाहर सड़क पर स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को लाकर धरना-प्रदर्शन किया। वहां से ट्रक समेत दूसरे वाहनों के पहिए थम गए। धरना-प्रदर्शन की खबर पर पहुंची पुलिस ने गुस्साएं परिवारीजनों को शांत कराया। हंगामे के बाद मरीजों को भर्ती कर इलाज मुहैया कराया गया।
घटना रात करीब तीन बजे की है। कैजुअल्टी में मरीजों का दबाव काफी थी। सभी 17 बेड भरे थे। कई मरीज स्ट्रेचर पर थे। इसी दौरान एक मरीज की हालत बिगड़ने लगी। मरीज बेहोश हो गया था। परिवारीजनों ने स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को बेड मुहैया कराने की गुजारिश की। मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए इलाज शुरू करने के कहा। इस पर डॉक्टर भड़क उठे। उन्होंने थोड़ा इंतजार करने को कहा। कर्मचारियों ने बेड के संकट की बात कही।
सड़क पर लिटाया मरीज को
इलाज में देरी पर तीमारदारों का गुस्सा भड़क उठा। वह मरीज को स्ट्रेचर सहित लेकर ट्रॉमा गेट पर आ गए। सड़क पर स्ट्रेचर लगा दिया। तीमारदारों ने सड़क जाम कर दी। इस दौरान दूसरे मरीजों के तीमारदार भी बदइंतजामी के खिलाफ धरने पर बैठ गए। इसकी वजह से वहां अफरा-तफरी मच गई। सड़क पर वाहनों की कतार लगना शुरू हो गई। तीमारदारों ने केजीएमयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
पुलिस ने शांत कराया मामला
हंगामा और बवाल की खबर पर पुलिस एकत्र हो गई। ट्रॉमा के कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए। तीमारदारों को समझाने की कोशिश की। करीब एक घंटे तक बवाल चलता रहा। काफी समझाने-बुझाने के बाद तीमारदार माने। मरीज को उठाकर ट्रॉमा सेंटर ले गए। जहां मरीज को बेड उपलब्ध कराने के बाद इलाज शुरू हुआ।
तीमारदारों ने लगाए गंभीर आरोप
सीतापुर निवासी एक मरीज तीमारदार राम खेलावन का कहना है कि कई विभाग बेड के साथ ही स्ट्रेचर पर भी मरीजों का इलाज चल रहा है लेकिन कुछ में बेड खाली हैं। इसके बावजूद उसमें मरीजों की भर्ती नहीं की जा रही है। लखीमपुर खीरी निवासी विमल और सुरेश का आरोप है कि उसकी बहन माधुरी देवी को न्यूरो संबधित परेशानी है। डॉक्टरों ने ऑपरेशन बताया है। दोपहर करीब दो बजकर 20 मिनट पर ट्रॉमा सेंटर में पर्चा बनवाया। कैजुअल्टी वार्ड के सामने लिटा दिया गया। 24 घंटे से ज्यादा वक्त बीतने के बाद भी इलाज चालू नहीं हो सका। इसी तरह सीतापुर के शिवम रस्तोगी ने भी मां के इलाज में कोताही का इलजाम लगाया। शिवम की मां को पैरालिसिस का अटैक पड़ने के बाद ट्रॉमा सेंटर लगाया गया है। उसे ट्रामा में भर्ती नहीं किया जा रहा है। कैजुअल्टी वार्ड से बाहर कर दिया गया।
धरना प्रदर्शन का वीडियो वॉयरल
स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को सड़क पर लाकर प्रदर्शन करने के मामले का वीडियो वायरल हो गया। केजीएमयू अफसरों के पास भी वीडियो पहुंचा। इसके बावजूद ट्रॉमा की व्यवस्था सुधारने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
ट्रॉमा सेंटर में मरीजों का काफी दबाव है। सभी मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है। मरीजों के मुकाबले संसाधन कम हैं। जिलास्तरीय अस्पताल के डॉक्टर मामूली बीमारी से पीड़ितों को ट्रॉमा भेज रहे हैं। इसकी स्थिति बेकाबू हो रही है। नतीजतन गंभीर मरीजों को इलाज के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
डॉ. संतोष कुमार, प्रभारी, मीडिया सेल, केजीएमयू
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