रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए थ्रीडी बायोप्रिंटिंग की क्षमता समझें
- एलयू में दीक्षांत सप्ताह के तहत कई विभागों में कार्यक्रम लखनऊ, संवाददाता। लखनऊ
- एलयू में दीक्षांत सप्ताह के तहत कई विभागों में कार्यक्रम लखनऊ, संवाददाता।
लखनऊ विश्वविद्यालय में 67वें दीक्षांत समारोह के मद्देनजर दीक्षांत सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत मंगलवार को वाणिज्य विभाग, एप्लाइड इकोनॉमिक्स, हिन्दी और रसायन विज्ञान विभाग की ओर से कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए।
रसायन विज्ञान विभाग दीक्षांत में तीसरा चैतन्य व्याख्यान आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता बायोटेक पार्क के सलाहकार और बायोटॉक्स सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड लखनऊ के स्वतंत्र निदेशक डॉ. शिव पूजन रहे। डॉ. पूजन ने प्रयोगशाला से जीवन तक: वैज्ञानिक अनुसंधान में 3डी बायोप्रिंटिंग की भूमिका विषय पर बात की। उन्होंने बताया कि थ्रीडी बायोप्रिंटिंग परिवर्तनकारी तकनीक के रूप में उभरी है जिसका विभिन्न वैज्ञानिक विषयों में व्यापक अनुप्रयोग है। उन्होंने बायोमटेरियल और बायोइंक विकसित करने में रसायन विज्ञान की भूमिका के साथ ऊतक इंजीनियरिंग, दवा खोज और सामग्री विज्ञान जैसे क्षेत्रों में थ्रीडी बायोप्रिंटिंग के विविध अनुप्रयोगों पर भी चर्चा की। उन्होंने आगे बताया कि थ्रीडी बायोप्रिंटिंग की क्षमता को समझकर रसायनज्ञ अभिनव समाधानों के विकास में योगदान दे सकते हैं और वैज्ञानिक प्रगति को आगे बढ़ा सकते हैं। प्रमुख प्रो. अनिल मिश्रा, डॉ. मनीषा शुक्ला समेत कई अन्य उपस्थित रहे। इसी तरह एप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग में पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिता हुई। आर्थिक अवधारणाओं के विषय पर केंद्रित इस प्रतियोगिता में सोलह ग्रुप्स ने भाग लिया।
नेल आर्ट और फोटोग्राफी प्रतियोगिता हुई
वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. राम मिलन ने बताया कि एनईपी-2020 पर विचार-मंथन सत्र, फोटोग्राफी और नेल आर्ट प्रतियोगिता हुई। साथ ही एंटी रैगिंग पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता भी आयोजित हुई। कई विभागों के 74 विद्यार्थियों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ भाग लिया। समन्वयक डॉ. प्रतिभा यादव, डॉ. जया त्रिपाठी, डॉ. मोनिका, डॉ. श्रृंजिका रस्तोगी, डॉ. खुशबू रावत और डॉ. अनीता तिवारी रहीं। सफल आयोजन डॉ. प्रशांत सिंह, डॉ. आकृति जायसवाल और डॉ. ऋषिकांत ने किया।
समाज का आधार और संस्कृति का आईना साहित्य
हिन्दी विभाग में काव्य पाठ प्रतियोगिता हुई। विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर रश्मि कुमार ने कहा कि साहित्य सहित भाव है। साहित्य समाज का आधार और संस्कृति का आईना है। प्रतियोगिता में 18 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने अपनी स्वरचित कविताओं का पाठ किया। संयोजक डॉ. रविकांत समेत कई अन्य उपस्थित रहे।
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