लॉकडाउन के विकास प्राधिकरणों की भी खराब हुई माली हालत
- लॉकडाउन से विकास प्राधिकरणों में बढ़ा लैंड बैंक का संकट लॉकडाउन से विकास प्राधिकरणों में बढ़ा लैंड बैंक का संकट लॉकडाउन से विकास प्राधिकरणों में बढ़ा लैंड बैंक का संकट लॉकडाउन से विकास प्राधिकरणों...
- लॉकडाउन से विकास प्राधिकरणों में बढ़ा लैंड बैंक का संकटप्रमुख संवाददाता- राज्य मुख्यालयलॉकडाउन से केवल आर्थिक गतिविधियां ही नहीं प्रभावित हुई हैं बल्कि विकास प्राधिकरणों की माली हालत भी खराब हुई है। लॉकडाउन के चलते विकास प्राधिकरणों की आय काफी प्रभावित हुई है। इतना ही नहीं जरूरत के आधार पर योजनाएं लाने के लिए उनके पास जमीन तक की व्यवस्था नहीं हो पाई है। आवास विभाग ने अनलॉक के साथ ही विकास प्राधिकरणों से रुकी हुई जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।लॉकडाउन में बकाएदारों ने नहीं जमा किए किस्तलॉकडाउन में अधिकतर आवंटियों ने बकाए किस्त जमा नहीं किए हैं। इसके साथ ही एक मुश्त समाधान (ओटीएस) योजना में भी मोटा पैसा फंसा हुआ है। आवास विकास परिषद का 1017 करोड़, लखनऊ विकास प्राधिकरण 172 करोड़, कानपुर 54 करोड़, गाजियाबाद 300 करोड़, आगरा 263 करोड़ और वाराणसी विकास प्राधिकरण का 8.90 करोड़ रुपये फंसा हुआ है। इसके अलावा योजनाओं में आवंटित जमीन और मकानों से मिलने वाली पूरी किस्त भी नहीं मिल पा रही है। ऑनलाइन छोड़कर अन्य आवंटी पैसे नहीं दे रहे हैं। केंद्र सरकार ने छह माह तक ऐसे लोगों पर कोई ब्याज न लगाने का निर्देश दे रखा है।लैंडबैंक का भी संकट बढ़ालॉकडाउन के चलते विकास प्राधिकरणों की समझौते के आधार पर किसानों से जमीन लेने की प्रक्रिया भी ठहर गई। प्रदेश के अधिकतर विकास प्राधिकरणों के पास योजना लाने के लिए जरूरत के आधार पर जमीन नहीं है। आगरा के पास 1771.54 हेक्टेयर, अलीगढ़ 100.68, अयोध्या 63, बरेली 291, बुलंदशहर 148 हेक्टेयर जमीन है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के पास 3889.92 हेक्टेयर, गोरखपुर 911, कानपुर 5304, लखनऊ 6886 हेक्टेयर जमीन है। छोटे विकास प्राधिकरणों में आजमगढ़, बस्ती, चित्रकूट, झांसी, कपिलवस्तु और रामपुर विकास प्राधिकरण के पास योजना लाने के लिए एक हेक्टयर भी जमीन नहीं है। प्रदेश में मौजूदा समय 33 विकास प्राधिकरण हैं, जिनमें से अधिकतर की हालत खराब है।रुके कामों को पटरी पर लाने का निर्देशप्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को वीडियो कांफ्रेंसिंग करते हुए वस्तु स्थिति की समीक्षा की है। उन्होंने विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि वे रुकी हुई योजनाओं को पटरी पर लाने का काम शुरू करें। इसके साथ ही डिफाल्टर आवंटियों से फंसा हुआ पैसा निकालने के लिए ओटीएस योजना का प्रचार-प्रसार कराएं। लैंड बैंक बढ़ाने के लिए समझौते के आधार पर जमीन लेने का निर्देश दिया है।
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