भाषा से संस्कृति का संरक्षण संभव-कुलपति बीबीएयू
बीबीएयू में 'हमारी भाषा, हमारा ज्ञान- विज्ञान, हमारे लोग और हमारा प्रदेश' विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने भाषा के विकास और संस्कृति के संरक्षण पर जोर दिया। प्रो. संदीप कुमार...
-बीबीएयू में हमारी भाषा, हमारा ज्ञान- विज्ञान, हमारे लोग और हमारा प्रदेश विषयक संगोष्ठी का आयोजन लखनऊ, कार्यालय संवाददाता
तकनीकी के माध्यम से भी वर्तमान समय में भाषा का विकास संभव है। भाषा द्वारा संस्कृति का संरक्षण किया जा सकता है। दूसरी ओर प्रारंभिक स्तर पर भाषा के विकास के साथ-साथ अपने वैक्यूम ब्रेन को ज्ञान- विज्ञान के साथ जोड़ना होगा। यह ज्ञान-विज्ञान ही परिपक्व होकर नवाचारों को जन्म देता है। ये बातें शुक्रवार को बीबीएयू के कुलपति प्रो. एनएमपी वर्मा ने हमारी भाषा, हमारा ज्ञान- विज्ञान, हमारे लोग और हमारा प्रदेश विषयक संगोष्ठी में कहीं। एम्स भोपाल के फाउंडर डायरेक्टर एवं भारतीय समाज विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष प्रो.संदीप कुमार ने कहा कि भारत में भाषाई विविधता के फलस्वरूप भी एकता देखने को मिलती हैं। इससे देश को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली है। अतः हम सभी का कर्तव्य है कि अपनी निज भाषा पर गर्व महसूस करें एवं इसका क्षरण होने से रोकें। संगोष्ठी की स्मारिका एवं पत्रिका का विमोचन किया गया।
केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के सेवानिवृत्त उपनिदेशक डॉ. एनएन मेहरोत्रा ने बताया कि विकास और समृद्धि में एक मौलिक अंतर है। विकास के माध्यम से तो शोषण भी किया जा सकता है, लेकिन समृद्धि के माध्यम से सभी का पोषण होता है। भारतीय संस्कृति में सदैव सभी प्राणियों के पोषण की बात कही जाती है।
शासन में संयुक्त सचिव अर्जुन देव भारती ने भाषा को आजीविका के साधनों से जोड़कर भाषा का विकास किया जा सकता है। इस मौके पर बीबीएयू के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. राणा प्रताप सिंह, डॉ. शैला चंद्रा,डॉ. मुकुंद शर्मा, प्रो. संदीप कुमार आदि मौजूद रहे।
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