केजीएमयू ने स्कैनर की मदद से हू-ब-हू असली जैसे कृत्रिम हाथ बनाए
केजीएमयू का ओरल पैथोलॉजी विभाग अब दांतों के इलाज के साथ कृत्रिम अंग बनाएगा। कानपुर के एचबीटीयू के सहयोग से दो कृत्रिम हाथ बनाए गए हैं, जो मरीज के अंगों से मेल खाते हैं। विभाग ने भविष्य में अन्य अंगों...
केजीएमयू का ओरल पैथोलॉजी विभाग अब दांतों के इलाज के साथ कृत्रिम अंग भी बनाएगा। इसकी शुरुआत कृत्रिम हाथ बनाकर की गई है। कानपुर के एचबीटीयू के सहयोग से दो कृत्रिम हाथ तैयार किए गए हैं, जो मरीज के अंगों से हू-ब-हू मेल खा रहे हैं। केजीएमयू के दंत संकाय में नौ विभाग हैं। इनमें से ओरल पैथोलॉजी में दांतों से जुड़ी बीमारियों की खून आदि से जुड़ी जांचें होती हैं। इलाज की राह तय की जाती है। विभाग की अध्यक्ष डॉ. शालिनी गुप्ता ने बताया कि एक्स्ट्रा ओरल स्कैनर की मदद से कृत्रिम हाथ तैयार किए गए हैं। सामान्य तौर पर उपलब्ध कृत्रिम हाथ दूर से ही अलग नजर आते हैं। इन हाथों को बनाने के लिए एक्स्ट्रा ओरल स्कैनर से उन व्यक्तियों के दूसरे हाथ को स्कैन किया गया, जिनके ये लगने थे। मरीज के हाथ के रंग, आकार और मोटाई के आधार पर कृत्रिम हाथ की डिजाइन तैयार की गई। फिर कानपुर के एचबीटीयू संस्थान से प्रिंट कराया गया। सिंथेटिक पदार्थ से अंग तैयार किए गए, जो बेहद हल्के हैं। दो कृत्रिम हाथ अलग-अलग मरीजों को लगाए गए।
हाथ संग दूसरे अंग भी बनेंगे
डॉ. शालिनी ने बताया कि हाथ कृत्रिम होने के बावजूद रंग, मोटाई व आकार से मेल खा रहे हैं। असली व नकली अंग में फर्क करना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि विभाग ने हाथ के साथ नाक-कान समेत अन्य अंग तैयार करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया है। इसके लिए विभाग ने हैप्टिक विद जियो मैजिक सॉफ्टवेयर खरीदा है। ऐसे में हादसों में अंग गंवाने वालों को असली जैसे नजर आने वाले कृत्रिम अंग लगाए जा सकेंगे। इससे मरीजों के अंग गंवाने के दुख को कम करने में मदद मिलेगी।
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