पेट में पनपा आठ किलो का ट्यूमर, डॉक्टरों ने बचाई जान
Lucknow News - केजीएमयू के डॉक्टरों ने एक बुजुर्ग के पेट से आठ किलो का दुर्लभ ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाला। मरीज को पेट में दर्द और सूजन की समस्या थी। ऑपरेशन के बाद, मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो गया। इस ऑपरेशन पर मात्र 14...
केजीएमयू के डॉक्टरों ने बुजुर्ग के पेट से आठ किलो का ट्यूमर निकाल कर नया जीवन देने में कामयाबी हासिल की है। बेहद दुर्लभ ट्यूमर गले या सिर में पनपता है। पेट या लिवर आदि में इस तरह के ट्यूमर के पूरी दुनिया में अभी तक सिर्फ 30 मामले ही पंजीकृत हैं। यह जन्मजात समस्याओं की वजह से भी हो सकता है। गोंडा निवासी बुजुर्ग का पेट काफी दिन से फूल रहा था। शुरुआत में पेट में हल्का दर्द महसूस होता था। गुजरे दो माह से मरीज के पेट में भीषण दर्द होने लगा। परिवारीजनों ने स्थानीय डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने गैस व दिल संबंधी समस्या की आशंका जताई। इलाज शुरू किया। लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद डॉक्टरों ने पेट में कैंसर होने की आशंका जाहिर की। मरीज को केजीएमयू ले जाने की सलाह दी।
नर्सिंग होम ने चार लाख खर्च बताया
कैंसर का नाम सुनते ही परिवारीजन घबरा गए। परिवारीजन मरीज को लेकर केजीएमयू पहुंचे। पहले परिवारीजनों गेस्ट्रो सर्जरी विभाग पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन की लंबी वेटिंग होने की बात कही। परिवारीजन मरीज को लेकर निजी अस्पताल गए। यहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन पर करीब चार लाख रुपए का खर्च बताया। गरीब परिवारीजनों ने इतनी बड़ी रकम खर्च कर पाने में असमर्थता जाहिर की।
पेट में दुर्लभ ट्यूमर था
परिवारीजनों ने मरीज को केजीएमयू जनरल सर्जरी विभाग में भर्ती कराया। यहां डॉ. सौम्या सिंह के निदेशन में इलाज शुरू हुआ। डॉ. सौम्या ने पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी समेत दूसरी जांचें कराई। जांच में पता चला कि बुजुर्ग को पेट में दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर है। डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी। परिवारीजन ऑपरेशन को राजी हो गए। 13 दिसंबर को ऑपरेशन कर ट्यूमर निकाला। इसके बाद मरीज पूरी तरह से सेहतमंद है। केजीएमयू में ऑपरेशन पर करीब 14 हजार रुपए खर्च हुए।
ट्यूमर से दब गईं थीं आंतें
डॉ. सौम्या सिंह ने बताया कि ट्यूमर का आकार लगातार बढ़ रहा था। इसकी वजह से पेट के दूसरे अंगों पर दबाव बढ़ रहा था। आंतें पूरी तरह से दबी हुई थीं। ट्यूमर के कई बार पलटने से आंतों पर दबाव और बढ़ गया था। नतीजतन मरीज के पेट में भीषण दर्द शुरू हुआ। इसमें एक लीटर खून भी भरा हुआ था। मरीज के शरीर में खून की कमी भी हो गई थी। हीमोग्लोबिन छह ग्राम ही बचा था। सर्जरी के दौरान मरीज को कई यूनिट खून चढ़ाना पड़ा था। हालांकि सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी थी।
ये हैं ऑपरेशन टीम के हीरो
डॉ. सौम्या सिंह, डॉ. जितेंद्र कुशवाहा, डॉ. केके सिंह, रेडियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनित परिहार, डॉ. सौरभ, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. शशांक कनौजिया, डॉ. ऋषभ और डॉ. वैशाली, ब्लड बैंक की डॉ. तुलिका चंद्रा।
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