केजीएमयू के डॉक्टर निजी प्रैक्टिस के साथ भत्ता भी ले रहे
लखनऊ में केजीएमयू के डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त हैं, जबकि शिकायतों के बावजूद किसी पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। नर्सिंग होम से मरीजों को बुलाने और ओपीडी में अनुपस्थित रहने की घटनाएं बढ़ रही हैं।...
-डॉक्टर से लेकर रेजिडेंट तक प्राइवेट प्रैक्टिस का रहे -केजीएमयू प्रशासन प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों पर मेहरबान
-अब तक किसी भी आरोपी पर नहीं की ठोस कार्रवाई
लखनऊ, वरिष्ठ संवाददाता।
केजीएमयू के डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में व्यस्त हैं। शिकायत और सबूतों के बावजूद अभी तक किसी भी आरोपी डॉक्टर पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे डॉक्टर बेधड़क प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। यही नहीं नियमित डॉक्टर हर महीने हजारों रुपये नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (एनपीए) भी वसूल रहे हैं। केजीएमयू में करीब 600 से अधिक डॉक्टर हैं। प्रतिदिन ओपीडी में सात से आठ हजार मरीज आ रहे हैं। केजीएमयू में 4000 बेड हैं। ज्यादातर बेड हमेशा भरे रहते हैं। 1000 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर हैं। मरीजों का दबाव अधिक है। इसका फायदा रेजिडेंट व सीनियर डॉक्टर उठा रहे हैं। पैसे के लालच में मरीजों को नर्सिंग होम बुला रहे हैं।
जांच के नाम पर लटका रहे मामला
प्राइवेट प्रैक्टिस के मसले को जांच के नाम पर लटकाया जा रहा है। अभी तक किसी भी प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोपी डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। शासन प्रशासन में किरकिरी के बाद डॉक्टर का निलंबन या नोटिस देने कर मामले पर पर्दा डाला दिया जा रहा है।
इससे पहले पूर्व कुलपति डॉ. सरोज चूड़ामणि गोपाल ने भी प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों की वीडियोग्राफी कराई। सुबूत भी जुटाए। लेकिन किसी भी प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोपी डॉक्टर पर कार्रवाई नहीं की। हालांकि कई आरोपी डॉक्टरों ने केजीएमयू से इस्तीफा दे दिया था। बाद में संविदा पर नौकरी ज्वाइन कर ली थी। मौजूदा समय कई विभागों में प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोपी काम कर रहे हैं।
निगरानी तंत्र ध्वस्त
केजीएमयू में प्राइवेट प्रैक्टिस की रोकथाम की कोई भी निगरानी नहीं हो रही है। यही वजह है कि डॉक्टर ओपीडी में दोपहर से गायब हो जाते थे। इसे देखने वाला कोई नहीं है। बीते साल एक विभाग के अध्यक्ष पर नर्सिंग होम में केस बिगड़ने पर मरीज को केजीएमयू में भर्ती किया गया था। आयुष्मान के मरीज से वसूली की गई। बाकायदा तीमारदारों ने इलाज संबंधी दस्तावेज व वीडियो तक केजीएमयू प्रशासन को मुहैया कराए। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
केस एक
पिछले साल ठाकुरगंज के नर्सिंग होम में मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। इसमें केजीएमयू के एक विभागाध्यक्ष पर मरीज के इलाज के आरोप लगे थे। पर्याप्त सुबूत के बावजूद अभी तक डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि कार्यपरिषद ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दे चुकी है।
केस दो
ईएनटी विभाग के रेजिडेंट डॉ. रमेश कुमार पर प्राइवेट प्रैक्टिस के आरोप लगे। आरोप हैं कि डॉ. रमेश मरीज ओपीडी से महिला मरीज को फुसलाकर खदरा के केडी हॉस्पिटल लेकर गए। वहां ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत गंभीर हो गई। फिर मरीज को केजीएमयू की वेंटिलेटर यूनिट में सीधे भर्ती करा दिया गया। जहां मरीज की सांसें थम गईं।
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