Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़लखनऊInvestigation Reveals Suspicious Financing in E-Rickshaw Loans

ब्लैक लिस्ट कंपनियां 09 साल से ई-रिक्शा खरीदने के लिए बांट रही थी लोन

गाड़ियों की बुकिंग करने वाली फाइनेंस कंपनियों की संदिग्धता के मामले में जांच एजेंसियों को महत्वपूर्ण इनपुट मिले हैं। पिछले 9 साल से ब्लैक लिस्टेड फर्मों ने ई-रिक्शा के लिए लोन बांटे हैं। आरटीओ ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊThu, 21 Nov 2024 10:06 PM
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गाड़ियों की बुकिंग करने वाली फाइनेंस कंपनियों के आर्थिक स्रोत की संदिग्धता मामले में जांच एजेंसियों को कई महत्वपूर्ण इनपुट हाथ लगे हैं। इसमें एक बड़ा मामला सामने आया है कि पिछले 09 साल से ब्लैक लिस्ट फर्म ई-रिक्शा खरीदने के लिए ग्राहकों को लोन बांट रही थी। इसमें विभाग के कुछ कर्मचारी ऐसी फर्मों के मिलकर कम से कम ईएमआई पर ई-रिक्शों की बिक्री करवाई। नतीजतन आज शहर में लगभग एक लाख तक ई-रिक्शे हो गए हैं। इनमें आरटीओ में ही करीब 56 हजार ई-रिक्शे पंजीकृत हैं। वहीं करीब 35-40 हजार ई-रिक्शे कागजों पर समाप्त हो चुके हैं, लेकिन चल रहे हैं। दूसरी ओर बैन की गई फाइनेंस कंपनियों से लोनिंग कराने वाले वाहन स्वामी परेशान हैं। जिनके लोन पूरे, उन्हें क्लियरेंस देगा आरटीओ

एआरटीओ प्रशासन पीके सिंह ने बताया कि ऐसे लोग जिनके लोन पूरे हो चुके हैं, उनके आवेदनों पर उनको क्लियरेंस दिया जाएगा। उनका लोन पूरा माना जाएगा। क्योंकि, उनको पता नहीं है कि फाइनेंस कंपनियों के पास कागज पूरे थे या नहीं। साथ ही आरबीआई अप्रूव्ड डॉक्यूमेंट का नियम अब लागू किया गया है। ऐसे में पुराने लोन जिनके हो चुके हैं, उनको इस दायरे में नहीं लाया जाएगा।

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कम खर्च होने के कारण ई-रिक्शा की बढ़ी मांग

लखनऊ में वर्ष 2015 में चाइनीज मॉडल के ई-रिक्शे पहली बार मार्केट में आए। उस वक्त करीब 892 ई-रिक्शे थे, लेकिन बिना रजिस्ट्रेशन के चलते थे। वर्ष 2016 में सरकार ने इसको मोटर वीकल अधिनियम के दायरे में ला दिया। पहले ये सवारियां ढोने का काम करते थे, लेकिन धीरे-धीरे इनका प्रयोग मालवाहक व स्कूली वैन के रूप में किया जाने लगा। कम खर्च होने के कारण इसकी डिमांड बढ़ती गई। हालांकि एक बार में पूरा पैसा देकर खरीदने में होने वाली दिक्कतों को फाइनेंस कंपनियों ने दूर कर दिया।

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