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नियुक्ति से पहले ही लाखों रुपए के भूखंड के मालिक थे प्रो. बिमल

Lucknow News - लखनऊ विश्वविद्यालय में अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग के प्रो. बिमल जायसवाल की नियुक्ति पर विवाद खड़ा हो गया है। उन पर आय के गलत आंकड़े देने और नियमों का उल्लंघन करने के आरोप हैं। शिकायत के अनुसार, उनकी आय...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊMon, 13 Jan 2025 09:11 PM
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लखनऊ विश्वविद्यालय में अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग के प्रो. बिमल जायसवाल के नाम नियुक्ति से पहले ही लाखों रुपए का भूखंड था। उनकी आय नियुक्ति से पूर्व यानी वर्ष 2004-05 में ही दो लाख रुपए से ज्यादा थी। लोक आयुक्त से हुई शिकायत में इन सभी बिन्दुओं को शामिल करते हुए प्रमाणित दस्तावेज दिए गए हैं। साथ ही आरोप लगाया है कि प्रो. बिमल जायसवाल की नियुक्ति में उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जन-जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1994 का उल्लंघन हुआ है। जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि ओबीसी नॉन क्रीमिलेयर अभ्यर्थियों की आय एक लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। जबकि लोक आयुक्त को भेजी गई शिकायत में प्रो. बिमल जायसवाल की आय वर्ष 2002-03 में डेढ़ लाख रुपए, 2003-04 में दो लाख रुपए और 2004-05 में दो लाख रुपए से अधिक बताई गई है। वहीं उनके पिता प्रोफेसर सियाराम जायसवाल की आय साल 2004-05 में चार लाख और 2005-06 में साढ़े पांच लाख से ज्यादा थी। इसके अलावा शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि प्रोफेसर जायसवाल ने जानकीपुरम विस्तार में 10 अक्टूबर, 2002 को एक भूखंड खरीदा था। जिसकी उस समय सरकारी कीमत 3.52 लाख रुपए थी। गौरतलब है कि प्रोफेसर जायसवाल की नियुक्ति 2002-03 में जारी भर्ती विज्ञापन के आधार पर की गई थी।

नियुक्ति समेत कई आरोपों पर चल रही जांच

प्रो. बिमल जायसवाल की ओबीसी नॉन क्रीमिलेयर संवर्ग में हुई नियुक्ति, परीक्षा केंद्रों के निर्धारण, शिक्षक नियुक्तियों में की गई अनियमितताओं, अंकों में हेरफेर करना, शोध विद्यार्थियों का शोषण करना संबंधित शिकायत पर आठ जनवरी को जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच समिति के अध्यक्ष एलयू कुलपति हैं। सदस्य के तौर पर उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव डीपी शाही, चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के कुलसचिव और क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी लखनऊ को शामिल किया गया है। समिति को 15 दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं।

पिता खुद थे विभाग के विभागाध्यक्ष

विधायक अभय सिंह ने नियम-51 के तहत विधानसभा सत्र के दौरान मुद्दा उठाया था कि प्रो. बिमल सियाराम जायसवाल की नियुक्ति नियमों को ताक पर रखकर की गई है। ऐसा तब हुआ जबकि उनके पिता सियाराम जायसवाल खुद ही इस विभाग में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष थे। उनके पिता बाद में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे। अभय सिंह ने आरोप लगाया था कि उन्हें बिना उचित सत्यापन के नियुक्ति दी गई।

वर्जन--

मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। किसी षडयंत्र के तहत यह किया जा रहा है। मैंने जो सर्टिफिकेट दिया है वह पूर्णतया सत्य है। मैं कभी विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष या परीक्षा नियंत्रक नहीं रहा हूं। सभी आरोपों के खिलाफ लोक आयुक्त में जवाब प्रस्तुत करूंगा।

-प्रो. बिमल जायसवाल, अप्लाइड इकोनॉमिक्स विभाग, एलयू

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