कोरोना काल में बैंक लोन लेकर मुर्गी पालन शुरू किया, बर्ड फ्लू से कारोबार चौपट
- रहीमाबाद, मलिहाबाद, चिनहट के कई युवाओं ने कोरोना काल में शुरू किया था...
- रहीमाबाद, मलिहाबाद, चिनहट के कई युवाओं ने कोरोना काल में शुरू किया था पोल्ट्री फार्मिंग का कारोबार
- सभी आर्डर रद्द, लागत न आने से मुर्गों को दाना खिलाना तक मुश्किल हो गया
लखनऊ। वरिष्ठ संवाददाता
कोरोना महामारी के बीच बर्ड फ्लू की दस्तक ने पोल्ट्री उद्योग को काफी नुकसान पहुंचाया है। इस नई मुसीबत से उन युवाओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ है, जिन्होंने कोरोना काल में नौकरी जाने के बाद मुर्गी पालन (पोल्ट्री फार्मिंग) का कारोबार शुरू किया था। किसी ने सगे-संबंधियों से उधार मांगा तो किसी ने बैंक से एक से दो लाख रुपये तक लोन लिया। कारोबारी पटरी पर रफ्तार पकड़ता। उससे पहले बर्ड फ्लू के कारण सब चौपट हो गया। पोल्ट्री फार्म मालिकों के मुताबिक सभी आर्डर रद्द हो गये हैं। सस्ते में भी कोई चिकन और अंडा खरीदने वाला नहीं है। लागत न आने से मुर्गों को दाना खिलाना तक मुश्किल हो गया।
छह महीने के निवेश के बाद उत्पादक के पास रकम पहुंचती है
रहीमाबाद के गढ़ी जिन्दौर निवासी मोहम्मद फैजान कोरोना महामारी के बीच जुलाई में नौकरी छूट गई थी, जिसके बाद मैंने बैंक से एक लाख रुपये लोन लेकर मुर्गी पालन का काम शुरू किया। लगन में थोड़ी कमाई हुई लेकिन बर्ड फ्लू की दस्तक से कारोबार चौपट हो गया है। उन्होंने बताया कि मुर्गी पालन में कई फेज होते हैं। छह महीने के निवेश के बाद उत्पादक के पास रकम पहुंचती है। हरदोई रोड स्थित तकिया गांव निवासी अब्दुल रहमान ने बताया कि पहले लखनऊ में नौकरी करते थे, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के दौरान निकाल दिया गया। इसके बाद रिश्तेदार से पैसे उधार मांगकर मुर्गी पालन का काम शुरू किया, लेकिन बर्ड फ्लू के कारण अब एक भी आर्डर नहीं आ रहे।
मुर्गियों के दाने पर हर दिन खर्चा हो रहा
रहीमाबाद के पोल्ट्री संचालक सलमान ने बताया कि मुर्गी व चूजों की बिक्री नहीं हो रही है, जबकि मुर्गियों के दाने पर हर दिन खर्चा हो रहा है। उन्होंने बताया कि एक जगह से दूसरी जगह उड़ने वाले पक्षियों में ये बीमारी पाई जाती है। हमारी बर्ड ट्रेवलिंग नहीं करती। बाहरी दुनिया से बचाव के लिए बड़े पोल्ट्री फॉर्मों ने बाड़ोंको इनवायरमेंटल कंट्रोल हाउस से सुरक्षित किया है। बाहरी हवा के संपर्क से बर्ड को बाहर कर दिया गया है। एंटी बैक्टीरिया डोज लगातार दी जा रही है। सरकार को पोल्ट्री उद्योग को बचाने के लिए लोगों के बीच सही जानकारी देनी चाहिए।
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इंफो
- लखनऊ में 45 छोटे-बड़े फार्म
- रोजाना करीब 4.75 लाख अंडों का उत्पादन होता है
- लखनऊ में 2.50 लाख अंडों की खपत होती है
- बर्ड फ्लू के कारण अंडे की खपत 1.10 लाख हो गई है
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