पुनर्वास विवि: आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक संकेतों को लिखित पाठ, ऑडियो में बदलेंगे
Lucknow News - - पुनर्वास विवि पहुंचे आईआईटी बीएचयू के शीर्ष 12 वैज्ञानिक - विवि में एकेडमिक
- पुनर्वास विवि पहुंचे आईआईटी बीएचयू के शीर्ष 12 वैज्ञानिक - विवि में एकेडमिक एक्सचेंज प्रोग्राम सत्र का आयोजन हुआ
लखनऊ, संवाददाता।
डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में अब कम सुनने और न बोल पाने वाले छात्र-छात्राओं को पढ़ाई करने में आसानी होगी। इसके लिए आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक संकेतों को लिखित पाठ और ऑडियो में अनुवादित करने वाला सॉफ्टवेयर तैयार करेंगे। इसके अलावा दृष्टिबाधित छात्रों की गतिशीलता में सुधार के लिए विवि का थ्रीडी मानचित्र बनाएंगे। यह मोबाइल ऐप के रूप में वॉयस कमांड के साथ कार्य करेगा। साथ ही कम सुनने वाले व्यक्तियों के बीच संवाद और भाषा कौशल विकास के लिए संवाद चिकित्सा तकनीकों को बेहतर करने के लिए भी सॉफ्टवेयर निर्माण करेंगे। इसके मद्देनजर पुनर्वास विवि और आईआईटी बीएचयू के बीच सोमवार को शोध एवं विकास के क्षेत्र में एकेडमिक एक्सचेंज प्रोग्राम सत्र का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में आईआईटी बीएचयू के शीर्ष 12 वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। अध्यक्षता कुलपति प्रो. संजय सिंह ने की। उन्होंने अकादमिक सहयोग, शोध सहयोग, सॉफ्टवेयर विकास, कौशल संवर्द्धन कार्यक्रम, डेटा विश्लेषण, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और ऑनलाइन कक्षाओं के संचालन पर चर्चा की।
इलेक्ट्रॉनिक हाथ-पैर, हाइड्रोलिक घुटने तैयार होंगे
प्रवक्ता प्रो. यशवंत वीरोदय ने बताया कि संवाद सत्र में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की मदद से दिव्यांगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक हाथ व पैर के साथ ही कम लागत वाले हाइड्रोलिक घुटने और टखने के जोड़, शारीरिक विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए गतिशील कृत्रिम पैर, मोटर चालित व्हीलचेयर विकसित करने, विकसित उपकरणों में प्रयुक्त इंजीनियरिंग और नैदानिक परीक्षणों के लिए आपसी सहयोग पर विचार किया गया। यह एक दोतरफा प्रक्रिया होगी जिसमें आईआईटी-बीएचयू इंजीनियरिंग परीक्षणों के लिए अपना समर्थन देगा और पुनर्वास विश्वविद्यालय नैदानिक सुविधा प्रदान करेगा।
आधुनिक होंगे प्रयोगशालाओं के उपकरण
प्रो. वीरोदय के मुताबिक संवाद सत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि आईआईटी मौजूदा प्रयोगशाला उपकरणों जैसे वॉयस कमांड और लोकोमोटिव एक्सटेंशन को इस तरह से संशोधित करे, जिससे विभिन्न विकलांगताओं वाले छात्रों के लिए उनका उपयोग आसान हो।
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